कोरोना संकट में महिलाओं ने पुरुषों की तुलना में अधिक नौकरी खोई है। सर्वे के अनुसार 23.3 प्रतिशत पुरुष और 26.3 प्रतिशत महिला कर्मचारियों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा है। जबकि अर्द्धशहरी क्षेत्रों में कुल आबादी के 28.5 प्रतिशत लोगों को अपनी नौकरी गंवानी पड़ी है।
कोरोना संकट के चलते राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के दौरान देश में कुल आबादी के 24.7 प्रतिशत लोग ऐसे हैं, जिनके पास फिलहाल कोई काम नहीं है या वह नौकरी से निकाल दिए गए हैं। यह आंकड़ा आईएएनएस-सी वोटर सर्वे में सामने आया है।
सर्वे के अनुसार अर्ध शहरी क्षेत्रों में कुल आबादी के हिसाब से 28.5 प्रतिशत लोगों को अपनी नौकरी गंवानी पड़ी है। वहीं अगर घरों के भीतर रोजगार के बारे में बात करें तो यह आंकड़ा 36.2 प्रतिशत है। ज्यादातर कारखानों और उद्योगों के अर्ध शहरी क्षेत्रों में होने के कारण नौकरी के नुकसान का प्रभाव यहां चरम पर देखा जा सकता है।
वहीं इस सर्वे में एक ओर दिलचस्प आंकड़ा सामने आया है कि इस दौरान महिलाओं ने पुरुषों की तुलना में अधिक नौकरी खोई है। कुल जनसंख्या के हिसाब से देखें तो 23.3 प्रतिशत पुरुष और 26.3 प्रतिशत महिला कर्मचारियों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा है। सर्वे में पता चला है कि जब घर के भीतर नौकरी की बात आती है तो 30.9 प्रतिशत पुरुष और 34.8 प्रतिशत महिला कर्मचारियों को नौकरी गंवानी पड़ी है।
इसके अलावा सर्वे में ये भी सामने आया कि मध्यम आयु वर्ग के लोगों को नौकरी का सबसे अधिक नुकसान झेलना पड़ा है। जब घरों में काम करने के बारे में सवाल पूछा गया तो पता चला कि 45 से 60 वर्ष की आयु वर्ग के बीच 40.7 प्रतिशत लोगों ने अपनी नौकरी खो दी है।
वहीं, पूरी आबादी में सबसे कम आय वर्ग के 26.5 प्रतिशत लोगों ने लॉकडाउन के चलते अपनी नौकरी खो दी, जबकि मध्यम आय और उच्च आय वाले समूहों की संख्या क्रमश: 23.1 प्रतिशत और 22.5 प्रतिशत रही। इसी तरह जो वर्ग कम पढ़ा-लिखा है, उसे सबसे अधिक नौकरी का नुकसान झेलना पड़ा है। कुल आबादी में 27.6 प्रतिशत कम शिक्षित लोग नौकरी से बाहर हुए हैं, जबकि उच्च शिक्षित केवल 14.2 प्रतिशत लोगों को अपनी नौकरी गंवानी पड़ी।