अमेरिका में 911 इमरजेंसी कॉल का नंबर है. लोग किसी भी तरह की दिक्कत में फंसे हों तो इसी नंबर पर फोन कर के मदद मांगते हैं. न्यूयॉर्क में इन दिनों 911 ऑपरेटरों को हर 15.5 सेकंड पर एक फोन आ रहा है. घबराई हुई आवाजें अपने प्रियजनों की बिगड़ती हालत बयान कर रही हैं. किसी को दिल का दौरा पड़ा है तो कोई सांस नहीं ले पा रहा. हालांकि कई ऐसे भी लोग हैं जो एक छींक मारते ही 911 को फोन कर के पूछने लगते हैं कि कहीं यह कोरोना का लक्षण तो नहीं.
हालत यह है कि नगर पालिका को लोगों के फोन पर एसएमएस भेजने पड़ रहे हैं कि इमरजेंसी की स्थिति में ही 911 पर फोन करें. ट्विटर के माध्यम से भी लोगों को ऐसे संदेश भेजे जा रहे हैं.
दमकल विभाग का कहना है कि एक दिन में 5,500 से भी ज्यादा एम्बुलेंस के लिए फोन आ रहे हैं. यह औसत से 40 फीसदी ज्यादा है. न्यूयॉर्क वालों के लिए अब तक का सबसे भयावह लम्हा था 11 सितंबर 2001 का जब वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के ट्विन टावर पर आतंकी हमला हुआ था. उस दिन 911 को मदद के लिए जितने फोन आए उतने उससे पहले तक कभी नहीं आए थे. अब कोरोना संकट के बीच यह रिकॉर्ड भी टूट गया. इतना ही नहीं न्यूयॉर्क में मरने वालों की संख्या 11 सितंबर में मरने वालों के आंकड़े को भी पीछे छोड़ चुकी है.
911 ऑपरेटर मोनीक ब्राउन ने समाचार एजेंसी एपी को बताया, “आप जैसे ही एक फोन रखते हैं वैसे ही दूसरा फोन आ जाता है. बिना रुके, लगातार.” दूसरे ऑपरेटर रवि केलयानाथन ने कहा, “हम बस एक के बाद एक फोन ले रहे हैं.” दिक्कत यह है कि गैरजरूरी फोन कॉल के चक्कर में उन लोगों का वक्त बर्बाद हो जाता है जिन्हें वाकई मदद की जरूरत है. दमकल विभाग के अनुसार आम तौर पर इमरजेंसी कॉल के लिए रिस्पॉन्स टाइम करीब सात मिनट होता है जो कि इस बीच बढ़ कर दस मिनट हो गया है.न्यूयॉर्क में हर दिन दिल के दौरे के कारण 300 बार फोन आ रहा है. और इनमें से 200 से ज्यादा की हर दिन जान जा रही है. पिछले साल इन्हीं दिनों में दिल के दौरे के कारण औसतन 64 फोन आ रहे थे.
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911 ऑपरेटर फोन उठाते ही पहला सवाल करते हैं, “आपको पुलिस की मदद की जरूरत है, दमकल की या फिर डॉक्टर की?” फिर फोन करने वाले से बात करने के दौरान वे इस बात का आकलन करते हैं कि मदद कितनी जल्दी पहुंचानी होगी. कुछ मामलों में घंटों भी इंतजार किया जा सकता है. ऐसे लोगों को समझाने की कोशिश की जा रही है कि वे फोन ना करें.