इराक़ में अक्तूबर से शुरू हुए हिंसक प्रदर्शन थमने का नाम नहीं ले रहे हैं और इन प्रदर्शनों की आड़ में कुछ तत्वों ने इराक़ में ईरानी मिशन की इमारतों को निशाना बनाना शुरू कर दिया है।
बुधवार को देर रात गए नक़ाबपोश बलवाइयों ने पवित्र शहर नजफ़ में स्थित ईरानी कांसुलेट की पूरी इमारत को आग के हवाले कर दिया।
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि ईरानी राजनयिकों और कर्मचारियों को किसी तरह से पिछले दरवाज़े से निकाला गया और उनकी जान बचाई गई।
अमरीका और उसके सहयोगी विरोध प्रदर्शनों के नाम पर किए जा रहे इन अपराधों को इराक़ में ईरान के ख़िलाफ़ जन भावनाओं में वृद्धि का नाम दे रहे हैं।
हालांकि सच्चाई यह है कि ईरान ने न ही इराक़ पर हमला किया है और न ही अमरीका की तरह उस पर क़ब्ज़ा किया है, बल्कि 2014 में जब दाइश ने एक के बाद एक इराक़ी शहरों और गांवों पर क़ब्ज़ा किया और तकफ़ीरी आतंकवादी बग़दाद के निकट पहुंच गए तो सबसे पहले ईरान ने बढ़कर इराक़ी जनता की मदद की और दाइश को पराजित करने में अपना भरपूर सहयोग दिया।
इसलिए इराक़ में हमलावर और आतकंवादी गुटों का समर्थन करने वाले देशों के ख़िलाफ़ जन भावना की बात तो समझ में आती है, लेकिन उस पड़ोसी देश के ख़िलाफ़ जिसने बुरे वक़्त में साथ दिया उसके ख़िलाफ़ जन भावनाओं के भड़कने का नैरेटिव भी उन देशों की ही एक चाल लगती है, जो हिंसा और आतंकवाद की लहरों पर सवार होकर इस देश में स्वाधीन सरकार का तख़्तापलटे का सपना देख रहे थे।
यह सभी जानते हैं कि ईरान विरोधी अमरीका, इस्राईल और अरब गठबंधन क्षेत्र में ईरान के बढ़ते प्रभाव से चिंतित है, इसलिए वह ख़ुद ईरान में और उसके पड़ोसी देशों में विरोध प्रदर्शनो के नाम पर जन भावनाओं को भड़काने का प्रयास कर रहा है, ताकि जो उद्देश्य जंग के मैदान में हासिल नहीं कर सका उसे उपद्रव के ज़रिए हासिल कर सके।
कुछ लोगों का मानना है कि दाइश के ख़िलाफ़ युद्ध में इराक़ के वरिष्ठ धर्मगुरु आयतुल्लाह सैय्यद अली सीस्तानी ने जिहाद का फ़तवा देकर युद्ध का पांसा पलट दिया था, इसलिए इराक़ के दुश्मन विरोध प्रदर्शनों के बहाने आयतुल्लाह सीस्तानी और इस पवित्र शहर के अन्य वरिष्ठ धर्मगुरुओं को निशाना बनाने चाहते हैं। इसलिए कि जब तक नजफ़ में शिया धार्मिक शिक्षा केन्द्र मज़बूत है, उस वक़्त तक इराक़ के तेल और अन्य ऊर्जा स्रोतों की लूटमार आसान नहीं होगी।
नजफ़ स्थित ईरानी कांसुलेट की इमारत को आग लगाने वाले नक़ाबपोशों उपद्रवियों के लिए कहा जा रहा है कि वे नजफ़ के नागरिक नहीं थे, बल्कि वे ऐसे संदिग्ध लोग हैं जो किसी भी शहर में पहुंचते हैं और प्रदर्शनों के बहाने हिंसा फैलाकर वहां से निकल जाते हैं।
हालांकि इराक़ी अधिकारियों ने ईरानी कांसुलेट की इमारत पर हमले पर कड़ी प्रतिक्रिया जताते हुए देश के वरिष्ठ शिया धर्मगुरु को रेड लाइन क़रार दिया है।