अयोध्या में राम मंदिर को लेकर अब संत-समुदाय का धैर्य भी जवाब देने लगा है। संतों का मानना है कि यदि राम मंदिर का निर्माण नहीं हुआ तो लोकसभा चुनाव में भाजपा का बंटाधार हो जाएगा। विहिप जहां कानून के जरिए मंदिर निर्माण के पक्ष में हैं, वहीं मुस्लिम पक्षकार चाहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ही मंदिर का निर्माण होना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एएनआई को दिए साक्षात्कार में कहा है कि वे अयोध्या पर अध्यादेश नहीं लाएंगे, इसके लिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करना चाहिए।
दूसरी ओर राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास ने साफ तौर पर कहा कि जनता ने प्रधानमंत्री को बहुमत में इसलिए भेजा ताकि वे शीघ्रातिशीघ्र राम लला जहां विराजमान हैं, वहां मंदिर का निर्माण करें। यदि वे ऐसा नहीं करते हैं तो अपने साथ- साथ भाजपा का भी बंटाधार करंगे। उन्होंने यह भी कहा कि मोदी को चाहिए कि वे बहुमत में हैं कोर्ट की प्रतीक्षा न करें बल्कि राम मंदिर का निर्माण करें।
विश्व हिन्दू परिषद के प्रांतीय मीडिया प्रभारी शरद शर्मा ने कहा कि कब तक हम अदालत की प्रतीक्षा करें, 70 वर्ष से अधिक का समय हो रहा है हिन्दू समाज प्रतीक्षा ही कर रहा है। 1950 से चला हुआ मामला आज भी न्यायालय की धुरी पर चक्कर काट रहा है। राम लला स्वयं याची बनकर न्याय मांग रहे हैं। इससे बड़ा दुर्भग्य और क्या हो सकता है।
मुस्लिम पक्षकार इक़बाल अंसारी ने प्रधान मंत्री के बयान का समर्थन करते हुए कहा कि उन्होंने जो भी कहा वह ठीक कहा है। कोर्ट का फैसला पूरे हिंदुस्तान को मानना पड़ेगा, जो नहीं मानता उसे हिंदुस्तान में रहने का अधिकार नहीं है। जो लोग कहते हैं कि हम अध्यादेश व कानून लाएंगे, वे ऐसा कर ही नहीं सकते हैं।
राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी महंत सतेंद्र दास ने कहा कि भाजपा के नेता बार-बार यही कहते थे कि जब हम सत्ता में आएंगे तो पहली वरीयता होगी भव्य राम मंदिर का निर्माण। विहिप और आरएसएस ने भी मांग की है कि अध्यादेश लाइए और कानून बनाइए,
लेकिन प्रधानमंत्री ने इनकी मांगों को ठुकरा दिया है और अपने वादे से मुकर गए। भाजपा राम मंदिर के नाम पर सत्ता में आई और अब मुकर गई। इसका परिणाम 2019 के चुनाव के लिए कठिन होगा।