इस्लामाबाद। पाकिस्तान के प्रधान न्यायाधीश साकिब निसार ने पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी और उनकी बहन के खिलाफ धनशोधन के आरोपों की जांच के लिए एक उच्चाधिकार प्राप्त संयुक्त जांच टीम (जेआईटी) के गठन का आश्वासन दिया। यह जेआईटी उसी तरह की होगी जैसी कि पनामा पेपर मामले में पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के खिलाफ जांच के लिए गठित की गई थी।
द न्यूज ने खबर दी कि फर्जी खातों के जरिए 35 अरब रुपए के कथित धनशोधन की जांच कर रही एक संयुक्त जांच टीम के समक्ष जरदारी और उनकी बहन फरयाल तालपुर के पेश न होने पर संघीय जांच एजेंसी (एफ आई ए) ने शीर्ष अदालत से संपर्क किया।
एफआईए ने गत एक अगस्त को जरदारी और तालपुर को नोटिस जारी कर उनसे कहा था कि वे शनिवार के दिन इस्लामाबाद में जे आई टी के समक्ष पेश हों। लेकिन दोनों पेश नहीं हुए। प्रधान न्यायाधीश निसार की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ द्वारा सोमवार को की गई सुनवाई के दौरान न्यायाधीश उमर अता बांदिया ने कहा कि खातों में धन को छिपाकर रखना अवैध है।
इस पर प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि यह काला धन है और अदालत किसी को भी नहीं बख्शेगी।जरदारी, तालपुर, पाकिस्तान स्टॉक एक्सचेंज के पूर्व अध्यक्ष हुसैन लवाई, समिट बैंक के वरिष्ठ उपाध्यक्ष ताहा रजा उन लोगों में शामिल हैं जिनके खिलाफ एफआईए के अतिरिक्त महानिदेशक नजफ मि$र्जा के नेतृत्व वाली सात सदस्यीय जेआईटी जांच कर रही है।
मामला समिट बैंक, सिंध बैंक और यूनाइटेड बैंक लिमिटेड में 29 ‘फर्जी’ खातों से जुड़ा है।एक्सप्रेस ट्रिब्यून के मुताबिक प्रधान न्यायाधीश ने जब जेआईटी के गठन के लिए कहा तो बचाव पक्ष के वकील एतजाज अहसन ने आपत्ति जताई। अहसन के इस सवाल पर कि मामले की सुनवाई शीर्ष अदालत में होगी या निचली अदालत मेेंं, प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि यह उच्चतम न्यायालय में भी हो सकती है।
उन्होंने कहा कि उसी तरह की जेआईटी का गठन किया जाएगा जैसी कि नवाज शरीफ के खिलाफ जांच के लिए गठित की गई थी। प्रधान न्यायाधीश ने मामले की सुनवाई के लिए विशेष कोर्ट के गठन और एक महीने के भीतर परिणाम लाने का भी संकेत दिया।