बहरीन : खालिद बिन अहमद आले खलीफ़ा ने दिया विवादित बयान- “कुद्स को छोड़ो… आओ ईरान से लड़ें”संयुक्त राष्ट्र ने ट्रम्प के फैलसे के विरुद्ध वोटिंग का फैसला लिया अमरीका को पता था कि कुछ को छोड़ कर सारे देश उसके खिलाफ वोट करेंगे, सो उसने नया प्रोपगंडा रचा.
उसने कहा- अमरीकी राष्ट्रपति ने धमकी भरे अंदाज़ में कहा है कि जो भी देश इस वोटिंग में भाग लेगा उसको अमरीका से मिलने वाली सहायता काट दी जाएगी। बहरीन राष्ट्रपति ने दर कर दिया ये बयान. बहरीन के विदेश मंत्री खालिद बिन अहमद आले खलीफ़ा को ट्वीटर पर कड़ी आलोचना झेलनी पड़ रही है, और इसका कारण उनका वह ट्वीट है जो उन्होंने कुद्स के बारे में किया है।
उन्होंने कुद्स के मामले की तरफ़ इशारा करते हुए उसे एक कम महत्वपूर्ण मुद्दा बताते हुए लिखाः “अमरीका के विरुद्ध एक नए युद्ध की शुरूआत का कोई लाभ नहीं है” अगरचे बहरीन के एक उच्च अधिकारी द्वारा इस प्रकार का बयान बहुत अजीब नहीं है क्योंकि बहरीन ही वह पहला देश है जिसने यरूशलेम (कुद्स) को ज़ायोनी शासन की राजधानी के तौर पर अपना प्रतिनिधि मंडल भेजा था।
उन्होंने दूसरे खाड़ी के देशों की भाति ईरान विरोधी रुख अपनाते हुए लिखाः “हम एक दूसरे के साथ कांधे से कांधा मिलाकर मौजूदा फासीवादी इस्लामी गणराज्य ईरान के खतरे के विरुद्ध खड़े होंगे”
उनके इस ट्वीट पर आलोचनाओं का दौर शुरू हो गया है। बहरीन के आले खलीफ़ा से इस प्रकार का बयान ऐसी स्थिति में आया है कि जब एक तरफ़ संयुक्त राष्ट्र ने ट्रम्प के फैलसे के विरुद्ध एक बैठक करके उसपर वोटिंग की है। उसके विरुद्ध अमरीकी राष्ट्रपति ने धमकी भरे अंदाज़ में कहा है कि जो भी देश इस वोटिंग में भाग लेगा उसको अमरीका से मिलने वाली सहायता काट दी जाएगी।
बहरीनी अधिकारी द्वारा फिलिस्तीन के मुद्दे को कम अहमियत वाला बताने पर ट्वीटर यूज़र्स ने इसे “अपमान जनक और धोखा” बताया और प्रश्न किया कि अगर इतना महत्वपूर्ण मुद्दा आले खलीफ़ा के लिए कम महत्वपूर्ण हो सकता है को वह कौन सा मामला है जो इनको महत्वपूर्ण लगता है?
विदेश मंत्री के ट्वीट पर अपना रोष प्रकट करते हुए बहरीन में फिलिस्तीनी जनता की सहायता कमेटी के प्रमुख, बहरीनी प्रतिनिधि मोहम्मद अलएमादी ने लिखाः “मंत्रीजी मुझे नहीं लगता आपके बयान का अर्थ यह है कि फिलिस्तीन का मुद्दा एक कम महत्वपूर्ण मुद्दा है… ईरान के विरुद्ध युद्ध में हम आपके साथ हैं लेकिन उसकी कीमत महत्वपूर्ण फिलिस्तीनी मुद्दी का बलिदान नहीं होगा।”
एक और यूज़र ने लिखाः “तुम ने अपना ट्वीट अरबी भाषा में क्यों नहीं लिखा?! क्या लोगों की प्रतिक्रिया से इतना डरते हो?! कुद्स एक कम महत्वपूर्ण मुद्दा है?! इतिहास तुम पर लानत करेगा।”