नई दिल्ली : सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के जवान की ओर से सोशल मीडिया के जरिए किए गए दावे के मद्देनजर दिल्ली उच्च न्यायालय ने नियंत्रण रेखा पर जवानों को दी जाने वाली खाद्य सामग्री की कथित खराब गुणवत्ता पर स्थिति रिपोर्ट की मांग करने वाली याचिका पर गृह मंत्रालय से मंगलवार को प्रतिक्रिया मांगी। delhi high court
मुख्य न्यायाधीश जी रोहिणी एवं न्यायमूर्ति संगीता ढींगरा सहगल ने जवानों को दिए जाने वाले भोजन की कथित खराब गुणवत्ता पर सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ), केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ), केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ), भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी), सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) एवं असम रायफल्स से भी अपना रुख बताने को कहा है।
पीठ ने बीएसएफ को यह भी आदेश दिया कि वह उसके सामने जांच रिपोर्ट जमा करे और यह बताए कि उन्होंने बीएसएफ के जवान तेज बहादुर यादव की ओर से लगाए आरोपों के संबंध में क्या कदम उठाए हैं।
पीठ ने कहा कि प्रतिवादी दो (बीएसएफ) इस संबंध में पहले ही कदम उठा चुका है। हम उनकी रिपोर्ट देखना चाहेंगे। आपके पास जो भी रिपोर्ट है, उसे सुनवाई की आगामी तारीख 27 फरवरी को अदालत के समक्ष पेश किया जाए।
बीएसएफ की ओर से पेश हुए वकील गौरांग कंठ ने अदालत को सूचित किया कि बीएसएफ ने पहले ही घटना के तत्काल बाद जांच कर ली है जिसके बाद अदालत ने यह आदेश दिया।
कंठ ने कहा कि सब चीजें सुचारू हैं। जैसा कि यादव ने आरोप लगाया है, हमें ऐसा कुछ नहीं मिला। हालांकि हम मामले की और जांच कर रहे हैं।
याचिकाकर्ता ने अनुरोध किया है कि यादव के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं किए जाने का निर्देश दिया जाए लेकिन पीठ ने इस संबंध में कोई आदेश जारी करने से इनकार कर दिया और कहा कि हम इस संबंध में आदेश नहीं दे सकते।
बीएसएफ के जवान तेज बहादुर यादव ने अधिकारियों के बीच भ्रष्टाचार एवं काम करने के लिए खराब स्थितियों का दावा करते हुए फेसबुक पर एक वीडियो पोस्ट किया था जिसके मद्देनजर केंद्र सरकार के पूर्व कर्मी पूर्ण चंद आर्य ने यह याचिका दर्ज कराई है।
जनहित याचिका में अनुरोध किया गया है कि सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो में लगाए गए बीएसएफ के जवान के आरोपों के मद्देनजर गृह मंत्रालय को भारत में सभी अद्धसैन्य बलों के संबंध में स्थिति रिपोर्ट जमा करने का आदेश दिया जाए।
वकील अभिषेक कुमार चौधरी के जरिए दायर जनहित याचिका में समता (अनुच्छेद 14) और जीवन (अनुच्छेद 21) के मौलिक अधिकारों का जिक्र करते हुए जवानों को दिए जाने वाले भोजन की खराब गुणवत्ता के आरोपों को रेखांकित किया गया है।
इस याचिका में इस घटना पर कार्रवाई करने का अनुरोध किया गया है ताकि बलों का मनोबल प्रभावित नहीं हो। इसमें राशन की खरीदारी, भोजन की तैयारी एवं अधिकारियों के विभिन्न वर्गों को परोसे जाने वाले भोजन पर स्पष्टीकरण देने को कहा गया है।