लद्दाख। चीन की भारतीय सीमा में घुसपैठ के खतरे से निपटने के लिए भारतीय सेना ने लद्दाख बॉर्डर पर 100 टैंकों की तैनाती की है। सूत्रों की मानें तो अभी और टैंक वहां पहुंचाये जाने हैं। माइनस 45 डिग्री सेल्सियस तापमान में ये टैंक्स स्पेशल फ्यूल से चलेंगे।
जानकारी के मुताबिक, लद्दाख में टीपू सुल्तान, महाराणा प्रताप और औरंगजेब जैसी टैंक रेजिमेंट की करीब 6 महीने पहले ही तैनाती की जा चुकी है। इससे पहले भारत ने 1962 की जंग के दौरान प्लेन से 5 टैंक उतारे थे। जब तक ये टैंक पहुंचे थे, तब तक भारत की हार हो चुकी थी। अभी ये टैंक किस इलाके या रेंज में तैनात किए गए हैं, सिक्युरिटी और स्ट्रैटजिक कारणों के चलते उनका खुलासा नहीं किया गया है।
एक अफसर के मुताबिक, “इस इलाके में ऊंचे पहाड़ और घाटियां हैं। दुश्मन यहां आसानी से मूवमेंट कर सकता है। इसके चलते जरूरी है कि इस इलाके में ज्यादा फोर्स रखी जाए।”
कर्नल विजय दलाल के मुताबिक, “इतनी ऊंचाई पर टैंकों को बनाए रखना काफी मुश्किल होता है। यहां टेम्परेचर माइनस 45 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है, जिसका टैंक की परफॉर्मेंस पर असर पड़ता है।” ऐसे में “टैंकों पर कोई असर न पड़े, इसके लिए मिलिट्री स्पेशल लुब्रिकेंट्स और फ्यूल का यूज करती है। मशीन जाम न हो जाए, इसके लिए टैंकों के इंजन को रात में भी दो बार चालू किया जाते हैं।” “निश्चित रूप से ये मुश्किल काम है, लेकिन हम इसे बेहतर तरीके से कर लेते हैं।”
टीपू सुल्तान के सेकंड-इन-कमांड मेजर एस सिंह के मुताबिक, “इतने ठंडे मौसम में काम करने में सैनिकों को परेशानी होती है।” “यहां ऑक्सीजन कम होने से सांस लेने में दिक्कत होती है। टेम्परेचर गिरने से फ्रॉस्ट बाइट का खतरा बना रहता है।”
गौरतलब है कि चीन की तरफ से लगातार घुसपैठ होती रहती है। इस बर्फीले इलाके में सड़क और एयरस्ट्रिप बनाना काफी खर्चीला काम है। ऐसे में यहां टैंक तैनात करना बेहतर ऑप्शन है। टैंकों को तैनाती से भारत चीन को ये संदेश देना चाह रहा है कि भारत अपनी टेरिटरी की सिक्युरिटी कर सकता है। साथ ही भारत का उस हिस्से पर हक है, जिस पर चीन अपना दावा करता रहता है।