नयी दिल्ली। वायु प्रदूषण के खतरनाक स्तर पर पहुंचने के बीच प्रदूषित हवा के एंटीबायोटिक प्रतिरोधी बैक्टीरिया के संवाहक होने के नये शोध ने वैज्ञानिकों को गंभीर चिंता में डाल दिया है। स्वीडेन के गोथेनबर्ग विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने अपने शोध में प्रदूषित वातारवरण में एंटीबायोटिक प्रतिरोधी बैक्टरिया की उपस्थिति पायी है। deadly bacteria
विश्वविद्यालय के सोग्रेंसेका एकेडमी में प्रोफेसर एवं सेन्टर फॉर एंटीबोयोटिक रेसिसटेंस रिसर्च के निदेशक जोकिम लार्सन ने विशेष बातचीत में बताया कि उनकी टीम ने चीन की राजधानी बीजिंग की हवा के नमूने में ऐसे बैक्टीरिया के जीन के डीएनए पाये हैं जो एंटीबायटिक प्रतिरोधी हैं।
प्रोफसर लार्सन ने कहा कि उनकी टीम ने इंसान और जानवरों के कुल 864 डीएनए और हवा के नमूनों का गहन अध्ययन किया । इस दौरान प्रदूषित हवा के नमूने में कई मिश्रित जीन मिले। प्रदूषित हवा में मौजूद बैक्टीरिया के जीन के डीएनए में उनके एंटिबायोटिक प्रतिरोधी होने की बात सामने आयी है ।
प्रोफेसर लार्सन ने कहा “चिंता यह है कि हमने प्रदूषित हवा के जिन नमूने की जांच की उसमें ऐसे कई जीन मिले हैं जो सबसे असरदार एंटीबायोटिक “कारबपेनेम्स ” के प्रतिरोधी हैं।
यह एंटीबायोटिक दवा ऐसी बीमारी में दी जाती है जिसका इलाज प्राय: बहुत मुश्किल होता है। लेकिन हमने हवा के विस्तृत नमूने की जांच नहीं की है और एक सटीक नतीजे के लिए और विभिन्न देशों की प्रदूषित हवा के नमूनों की जांच करनी होगी। ” उन्होंने यह भी कहा कि ऐसी प्रदूषित हवा भारत समेत कई देशों की हो सकती है। प्रोफेसर जोकिम लार्सन ने कहा, “ हवा के नमूने में मौजूद जीन के डीएनए के हमारे परीक्षण से यह पता नहीं चल पाया है कि बैक्टीरिया जीवित हैं अथवा मृत।
”हालांकि प्रोफेसर लार्सन ने यह भी कहा कि हवा के पहले हुये अन्य परीक्षणों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि इसमें जीवित और मृत दोनों बैक्टीरिया मौजूद हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि अगर ऐसे बैक्टीरिया जीवत हैं तो हमारे लिए बहुत बड़ा खतरा हो सकता है क्योंकि ये स्वस्थ्य व्यक्तियों को संक्रमित करेंगे। अभी हमने एक जगह की हवा के नमूने की जांच की है और इसके आधार पर हम किसी अंतिम नतीजे की घोषणा नहीं कर सकते। बड़े पैमाने पर शोध के बाद अगर प्रदूषित हवा में ऐसे बैक्टीरिया की माजूदगी मिलती है तो हमें यह पहचान करना होगा कि किन कारणों से इस तरह के बैक्टीरिया हवा में तैर रहे हैं। प्रोफेसर लार्सन ने कहा “ फिलहाल यह कहना मुश्किल है कि हवा में इस तरह के बैक्टीरिया कहां से आते हैं।
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