नई दिल्ली। 500 और 1,000 रुपये के नोटों को खत्म करने का सरकार का ये फैसला चुनाव की बाट जो रहे राज्यों उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर के लिए बड़ा झटका है। इस चुनावी लड़ाई में पैसे को पानी की तरह बहाने वाली पार्टियों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। चुनाव अभियान की तैयारियों में लगे राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को 500 और 1,000 रुपये के नोटों का एक ही झटके में अवैध बन जाने से अपने कानों पर यकीन नहीं हो रहा होगा। rs 500
खबरों के अनुसार 2004 और 2015 के बीच लोकसभा और विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस की ओर से जुटाया गए 2,259.04 करोड़ रुपये में से 68.33% नकद में था। इसी समय के दौरान बीजेपी की 1,983.37 करोड़ रकम का 44.69 फीसदी हिस्सा ही कैश में था।
1. पैसे के बूते चुनाव लड़ने वाली बड़ी राजनीतिक पार्टियों की मुश्किलें बढ़ी हैं।
2. गरीब पार्टियों की चांदी हो गई है।
3. बड़ी पार्टियों का वो पैसा अब बर्बाद ही समझा जाएगा क्योंकि न तो कभी उस पैसे की घोषणा की जाएगी और ना ही उसको कानूनी तरीके से बदला जा सकेगा।
5. यूपी और पंजाब में चुनाव को पैसे के बूते लड़ने वाली पार्टियों को अब अपनी रणनीति बदलने की जरूरत पड़ेगी।
6. चुनावी मैदान में उतरने वाली पार्टियों को अब अपने खर्च पर काबू रखना होगा।
7. हालांकि ये फैसला केंद्र की बीजेपी सरकार ने लिया है लेकिन इसके बावजूद बीजेपी और इसके नेताओं को भी इससे खासा नुकसान होगा।
8. सरकार के इस कदम को उस काले धन के खिलाफ एक बड़ा कदम माना जा रहा है जो राजनीतिक दलों ने चुनाव अभियान के लिए अलग रखा होता है।
9.प्रधानमंत्री की ओर से की गई ये घोषणा चुनाव पूर्व आपदा से कम नहीं।
10. नकदी के ढेर अब बेकार होने वाले हैं।