नई दिल्ली। नरेन्द्र मोदी का डिग्री विवाद शांत कर बीजेपी सरकार ने चैन की सांस ली ही थी कि अब केंद्र सरकार में मंत्री स्मृति ईरानी की डिग्री को लेकर सरकार मुश्किल में है। शहर की एक अदालत ने आज दिल्ली राज्य निर्वाचन आयोग से केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी की शैक्षणिक योग्यता से संबंधित कुछ रिकॉर्ड जमा करने को कहा, जो उन्होंने 2004 के लोकसभा चुनाव लड़ते समय दाखिल किए थे। स्मृति द्वारा आयोग को दिए हलफनामे में गलत जानकारी देने के आरोपों की एक शिकायत के बाद अदालत ने यह आदेश दिया। patiala house court
स्पष्टीकरण जरूरी
मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट हरविंदर सिंह ने मामले में कुछ स्पष्टीकरण जरूरी होने की बात का संज्ञान लेते हुए चुनाव आयोग के अधिकारियों को दस्तावेज दाखिल करने का निर्देश दिया। मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट द्वारा इस बारे में भी आदेश जारी किए जाने की उम्मीद थी कि ईरानी को मामले में आरोपी के तौर पर समन किया जाए या नहीं।
अहमर खान की शिकायत पर पिछली सुनवाइयों के दौरान चुनाव आयोग के एक अधिकारी ने अदालत को बताया था कि स्मृति ने नामांकन दाखिल करते समय अपनी शैक्षणिक योग्यता से संबंधित जो दस्तावेज दाखिल किए थे, वे मिल नहीं रहे। हालांकि उन्होंने कहा था कि इस बारे में जानकारी आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध है।
अदालत के पहले के एक निर्देश के अनुरूप दिल्ली विश्वविद्यालय ने भी कहा था कि 1996 में स्मृति के बीए की पढ़ाई करने से संबंधित कागजात अभी मिले नहीं हैं जिनका उल्लेख उन्होंने 2004 के लोकसभा चुनावों के समय दाखिल हलफनामे में किया था।
शिकायती का आरोप है कि स्मृति ने 2004, 2011 और 2014 में आयोग को जमा अपने हलफनामे में शैक्षणिक योग्यता के बारे में जानबूझकर गलत जानकारी दी थी और इस मुद्दे पर चिंताएं उठाने के बावजूद कोई सफाई नहीं दी।
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