दुनिया भर में दस में से एक व्यक्ति माइग्रेन का शिकार है। इनमें से एक चौथाई मरीज़ दर्दनाक संवेदी कारकों का भी प्रदर्शन करते हैं।
हालाँकि मस्तिष्क से जुड़े मामलों में काफी काम किये जाने के बावजूद अभी बहुत कुछ किया जाना बाक़ी है। मगर इस बीच जारी कोशिशों की बदौलत वैज्ञानिक हर दिन किसी न किसी प्रयास में जुटे ही रहते हैं।
इन दिनों वैज्ञानिक एक नए मस्तिष्क मार्ग की खोज को लेकर चर्चा में हैं। बताया जा रहा है कि इन वैज्ञानिकों ने सिरदर्द पैदा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले हिस्से की खोज में कामयाबी पाई है। अब ऐसे में ये उम्मीद जताई जा रही है कि इस नई खोज की बदौलत माइग्रेन के इलाज के लिए नई दवाओं का मार्ग भी प्रशस्त हो सकेगा।
नए शोध में पहली बार बताया गया है कि किस तरह से विघटन की फैलती लहर और मस्तिष्क में लिक्विड का प्रवाह सिरदर्द को ट्रिगर करता है।
अध्ययन में नए प्रोटीन की भी पहचान की गई है जो सिरदर्द के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं और माइग्रेन की नई दवाओं के लिए आधार के रूप में काम कर सकते हैं।
रोचेस्टर विश्वविद्यालय के ट्रांसलेशनल न्यूरोमेडिसिन केंद्र के सह-निदेशक और नए अध्ययन के प्रमुख लेखक, मैकेन नेडरगार्ड, एमडी, डीएमएससी साइंस जर्नल बताते है- “ये निष्कर्ष हमें माइग्रेन को रोकने और उसका इलाज करने और मौजूदा उपचारों को मजबूत करने के लिए संवेदी तंत्रिका एक्टिवेशन को रोकने के लिए कई नए लक्ष्य प्रदान करते हैं।”
विशेषज्ञ जानते हैं कि मस्तिष्क गतिविधि के निलंबन की एक लहर माइग्रेन का कारण बनती है, लेकिन इस विषय में उन्हें अभी तक पर्याप्त जानकारी नहीं मिल सकी है।
माइग्रेन के दौरान संवेदी कारकों के प्रदर्शन में आंखों में प्रकाश की चमक, अंधे धब्बे, झुनझुनी अथवा किसी वस्तु की दोहरी दृष्टि जैसे लक्षण शामिल है जो सिरदर्द शुरू होने से पांच से 60 मिनट पहले दिखाई दे सकते हैं।