भारतीय रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष की आखिरी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में एक बार फिर नीतिगत दर रेपो में बढ़ोत्तरी की है। ये बढ़ोत्तरी 0.25 है। इस इज़ाफ़े के बाद मुख्य नीतिगत दर बढ़कर 6.50 फीसद हो गई है। मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए रिज़र्व बैंक मई से लेकर अबतक छह बार में रेपो दर में वृद्धि कर चुका है।
मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए रिज़र्व बैंक इस साल मई से लेकर अबतक कुल छह बार में रेपो दर में 2.50 फीसद की वृद्धि कर चुका है। इससे पूर्व मई में रेपो दर 0.40 फीसद और जून, अगस्त तथा सितंबर में 0.50 फीसद जबकि दिसंबर में 0.35 फीसद बढ़ाई जा चुकी है।
ऐसा लगातार दूसरी बार हुआ है जब मुख्य ब्याज दर में वृद्धि की गई है। आरबीआइ ने मुख्य मुद्रास्फीति ऊंची रहने की भी बात कही है। इसके साथ आने वाले समय में नीतिगत दर रेपो में और वृद्धि अनुमान है। अगले वित्त वर्ष में केंद्रीय बैंक ने सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी वृद्धि दर 6.4 फीसद रहने का अनुमान रखा है। यह चालू वित्त वर्ष के सात फीसद के वृद्धि दर के अनुमान से कम है।
अभी और बढ़ेगी ईएमआई!
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रिज़र्व बैंक ने लगातार छठी बार रेपो रेट बढ़ाया. रेपो रेट 25 बेसिस प्वाइंट बढ़कर 6.5 फ़ीसदी हुआ. रिज़र्व बैंक ने उम्मीद जताई है कि 2023-24 में देश की विकास दर 6.4 फ़ीसदी रहेगी. pic.twitter.com/uq79JdHSrq— BBC News Hindi (@BBCHindi) February 8, 2023
रेपो दर उस ब्याजदर को कहते हैं जिसपर वाणिज्यिक बैंक अपनी तुरंत वाली आवश्यकताओं की पूर्ती हेतु केंद्रीय बैंक से कर्ज लेते हैं। रेपो दर की वृद्धि का सीधा प्रभाव बैंकों और वित्तीय संस्थानों से लिये गए आवास और वाहन ऋण तथा कंपनियों के कर्ज पर पड़ता है। इसके नतीजे में मौजूदा ऋण की मासिक किस्त यानी ईएमआइ बढ़ जाती है।