मुंबई। ‘कहानी’ की अपार सफलता के बाद निर्देशक सुजॉय घोष इस बार इसकी फ्रेंचाइजी लेकर आए हैं। इंडस्ट्री को अपने निराले अंदाज में फिल्मों परोसने के शौकीन घोष ने इस फिल्म में भी थ्रिलर का धमाकेदार तड़का लगाने का प्रयास पूरा किया है। साथ ही उन्हें इससे पहले जैसी सफलता की चाहत भी है। movie review
कहानी
दो घंटे नौ मिनट पछपन सैकंड की कहानी वेस्ट बंगाल के चंदन नगर से शुरू होती है, जहां विद्या सिन्हा (विद्या बालन) अपनी दिव्यांग बेटी मिनी (नायशा खन्ना) के साथ हंसी खुशी रह रही होती है। एक दिन मिनी की नर्स नहीं आती है, तो विद्या को ऑफिस जाने के लिए लेट जोता है, तो वह बेटी मिनी को घर में अकेला ही छोड़कर ऑफिस चली जाती है। जब वह शाम को ऑफिस से घर पहुंचती है, तो घर में बेटी दिव्यांग नहीं मिलती। अचानक विद्या के घर एक फोन आता है, तो वह अपनी बेटी को ढूंढने के लिए रात के अंधेरे में निकल पड़ती है कि एकाएक उसका एक्सीडेंट हो जाता है।
उस एक्सीडेंट की छानबीन के लिए सब इंस्पेक्टर इंद्रजीत सिंह (अर्जुन रामपाल) को लगाया जाता है, लेकिन इंद्रजीत उसे दुर्गा रानी सिंह के नाम से जानता है। फिर इंद्रजीत को पूछताछ में पता चलता है कि वह रानी नहीं, बल्कि विद्या सिन्हा है। इस पर इंद्रजीत को विद्या के घर से एक डायरी मिलती है, जिसमें विद्या अपनी पूरी दिनचर्या रोजाना लिखती थी। उस डायरी से इंद्रजीत को पता चलता है कि वह विद्या ही दुर्गा रानी है, जो किसी मजबूरीवश चंदन नगर में वह अपनी बेटी मिनी के साथ रह रही होती है। अब इधर डायरी के जरिए विद्या की कहानी का पता चलता कि मिनी आखिर दिव्यांग कैसे हो जाती है…।
वहीं दूसरी तरफ इंद्रजीत को भी सच्चाई का पता चल जाता है कि विद्या की बेटी मिनी नहीं है, वह तो सिर्फ उसकी हिफाजत के लिए विद्या सिन्हा बनती है। इसी के साथ फिल्म दिलचस्प मोड़ लेते हुए आगे बढ़ती है। कहानी उलझी हुई है, लेकिन कहीं कहीं रोचक हो जाती है। दर्शकों को बांध रखती है।
अभिनय
अर्जुन रामपाल ने इसमें खुद को साबित करने की कोई कोर कसर बाकी नहीं रखी है, जिसमें वे काफी हद तक सफल भी रहे हैं। साथ ही विद्या बालन ने इस बार भी खुद को कैरेक्टर की तह तक जाने की पूरी कोशिश की है, जिसके कारण इस बार भी वे खुद को अलग अंदाज में दिखा पाने में कामयाब रहीं। नायशा खन्ना ने मिनी का गजब रोल अदा किया है। जुगल हंसराज और टोटा रॉय चौधरी ने भी अपने अपने किरदारों को जीने का पूरा प्रयास किया है। इसके अलावा फिल्म में सभी एक्टर निर्देशक की कसौटी पर खरे उतरते दिखाई पड़ते हैं। movie review
निर्देशन
बॉलीवुड को अपने निराले अंदाज में फिल्में परोसते आए निर्देशक सुजॉय घोष के निर्देशन में कोई शक नहीं किया जा सकता। उन्होंने इसमें अपनी पिछली फिल्म की तरह ही गजब का थ्रिलर परोसने की पूरी कोशिश की है, लेकिन कहीं कहीं थोड़ा और बेहतर होने की कमी भी खली है। फिर भी घोष ने थ्रिलर की कमान संभालने में कोई कोर कसर बाकी नहीं रखी। उन्होंने इसमें तरह तरह के प्रयोग तो किए ही हैं, साथ ही इस सिरीज को आगे बढ़ाने वे कई मायनों में कामयाब भी रहे।
हालांकि उन्होंने फिल्म के जरिए लोगों को एक मैसेज देने का भरपूर प्रयास किया है, इसीलिए वे ऑडियंस की वाहवाही लूटने में सफल रहे। खैर, फिल्म का पहला हिस्सा तो ऑडियंस को बांधे रखने में काफी हद तक सफल रहता है, लेकिन सैकंड हाफ में घोष अपनी कहानी से कहीं न कहीं लडख़ड़ाते नजर आए। ऐसा लगता है जैसे पिछली फिल्म की कहानी के दबाव में हैं। सीक्वल बनाते समय पिछली फिल्म को जेहन रखना कभी कभी भारी पड़ जाता है। शायद यहीं निर्देशक से चूक हो गई। सैकंड हॉफ में न खास रोचकता नजर आई, ना ही रोमांच। दरअसल, दर्शकों को जब पता चल जाता है कि अगले सीन में क्या होने वाला है, तो समझा फिल्म की पटकथा में कहीं कमजोरी रह गई। यही बात कहानी 2 के साथ लागू होती है।
क्यों देखें
विद्या बालन के प्रेमी और अर्जुन रामपाल के चहेते कहानी 2 देखने के लिए सिनेमा घरों की ओर रुख कर सकते हैं। हां, यदि आप यह सोचकर जाएंगे कि फुल एंटरटेनमेंट होगा, तो आप गलत साबित होंगे…कहानी जैसी बिल्कुल भी बात नजर नहीं आती कहानी 2 में…। ऐसा भी नहीं कि फिल्म बोर करती है, लेकिन उतनी रोचक व रोमांचक भी नहीं कह सकते। movie review