ऑस्ट्रेलिया के मानवाधिकार आयोग में भारतीय मूल के वकील गिरिधरन सिवारामन को नस्लभेद आयुक्त नियुक्त किया गया है। सिवारमन दशकों से नस्लीय भेदभाव के मुकदमें लड़ते रहे हैं। सिवारामन का पांच साल का कार्यकाल चार मार्च से शुरू होगा।
मौरिस ब्लैकबर्न में सिवारामन मल्टीकल्चरल ऑस्ट्रेलिया समूह के प्रमुख हैं। इसके अलावा वह क्वींसलैंड रोजगार कानून विभाग के अध्यक्ष भी हैं।
सोमवार को अटॉर्नी जनरल मार्क ड्रेफस ने एक बयान जारी करते हुए बताया- “मैं सिवारामन को उनकी नियुक्ति पर बधाई देता हूं और इस बड़ी जिम्मेदारी को संभालने के लिए उनका आभार जताता हूं।”
अपने बयान में अटॉर्नी जनरल का कहना था कि सिवारामन की व्यापक समझ नस्लीय भेदभाव और मानवाधिकार के क्षेत्र में ऑस्ट्रेलियाई मानवाधिकार आयोग के लिए एक बहुत अहम होगी।
The Commission welcomes the appointment of Giridharan Sivaraman as the next Race Discrimination Commissioner, announced this morning by Attorney-General Mark Dreyfus KC.
Mr Sivaraman commences his role on Monday March 4.
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— Australian Human Rights Commission (@AusHumanRights) February 4, 2024
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट साझा करते हुए सिवारामन ने लिखा- “मैं नस्ल भेदभाव आयुक्त नियुक्ति किए जाने पर खुद को सम्मानित और उत्साहित महसूस कर रहा हूं।”
आयोग द्वारा प्रस्तुत प्रेस विज्ञप्ति से इस बात का खुलासा होता है कि सिवारामन ने न सिर्फ कई राष्ट्रीय स्तर के नस्लीय भेदभाव के मामलों को मुकदमों की मेजबानी की है, बल्कि कम वेतन वाले श्रमिकों के लिए मुआवजा योजना चलाई है। इनमें कई प्रवासी श्रमिक भी हैं।
गौरतलब है कि सिवारामन ने क्वींसलैंड बहुसांस्कृतिक सलाहकार परिषद के सदस्य के रूप में नस्लीय भेदभाव के पीड़ितों के अधिकारों का मामला उठाया था।
सिवारामन पिछले कई दशकों से बराबरी की लड़ाई जारी रखे हैं और सत्ता को सच से रूबरू करते रहे हैं। उन्होंने अपने कानूनी कार्यकाल में ‘कार्यस्थल और भेदभाव कानून’ से जुड़े मामलों का नेतृत्व किया है। उनकी कोशिशों से लोगों के जीवन में सुधार हुआ है।