वाशिंगटन से जारी एक रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि दुनिया भर में कोकोआ की फलियों की खेती वाली भूमि में जहरीली धातुएँ पाई जाती हैं और इसकी मौजूदगी चॉकलेट में भी दिखाई दे रही हैं।
जॉर्ज वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों के नेतृत्व में किए गए इस शोध को फ्रंटियर्स इन न्यूट्रिशन में प्रकाशित किया गया। इसमें होल फूड्स मार्केट, अमेजन और जीएनसी जैसे खुदरा विक्रेताओं के 70 से अधिक डार्क चॉकलेट उत्पादों की जांच की गई।
उत्पादों का परीक्षण यह देखने के लिए किया गया कि उनमें भारी धातुएँ जैसे सीसा, कैडमियम या आर्सेनिक मौजूद हैं या नहीं।
एक नए अध्ययन में पाया गया है कि डार्क चॉकलेट उत्पादों में भारी धातुओं की अत्यधिक मात्रा हो सकती है।
अध्ययन से होने वाले खुलासे के मुताबिक़, अध्ययन किए गए उत्पादों में से 43% में सीसे की मात्रा स्वीकार्य स्तर से अधिक थी और 35% में कैडमियम की मात्रा निर्धारित किये गए कैडमियम की मात्रा से अधिक थी।
यह अध्ययन कैलिफोर्निया के एक कानून पर आधारित था, जो खाने में भारी धातुओं के लिए अधिकतम स्वीकार्य खुराक स्तर निर्धारित करता है। हालाँकि, किसी भी वस्तु में आर्सेनिक मौजूदा स्तर से अधिक नहीं पाया गया।
वाशिंगटन डीसी में जॉर्ज वाशिंगटन स्कूल ऑफ मेडिसिन एंड हेल्थ साइंसेज के अध्ययन के प्रमुख लेखक लीह फ्रेम ने कहा, “हम सभी को चॉकलेट पसंद है, लेकिन भारी धातुओं से भरपूर अन्य खाद्य पदार्थों के साथ इसे सीमित मात्रा में खाना ज़रूरी है।”
आगे वह कहते हैं कि, अपने आहार से भारी धातुओं से पूरी तरह बचना संभव नहीं है, लेकिन आपको इस बात से सावधान रहना चाहिए कि आप क्या और कितना खा रहे हैं।
सीसा, कैडमियम और आर्सेनिक जैसी भारी धातुएं अगर बड़ी मात्रा में सेवन की जाएं तो स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा कर सकती हैं।
फ़्रेम ने कहा कि चूँकि उत्पादों में सीसे की मात्रा अलग-अलग होती है, इसलिए खपत को सीमित करना ही जोखिम को कम करने का एकमात्र निश्चित तरीका है।
आगे वह कहते हैं कि हर दिन बड़ी मात्रा में चॉकलेट न खाएं। बल्कि खाने के लिए प्रतिदिन एक औंस सर्विंग साइज़ की सलाह देते हैं, या फिर हर दूसरे दिन 2 औंस लेने से भी जोखिम को कम किया जा सकता है।