केंद्र सरकार ने पेंशन मामले में बदलाव करते हुए सरकारी कर्मचारियों की नाराज़गी दूर करने का प्रयास किया है। सरकार की मौजूदा नेशनल पेंशन स्कीम यानी एनपीएस से नाराज चल रहे सभी सरकारी कर्मचारियों के लिए यूनिफाइड पेंशन स्कीम यानी यूपीएस का ऐलान किया है ।
पिछले कुछ वर्षों में सरकारी कर्मचरियों द्वारा ओल्ड पेंशन स्कीम की बहाली की मांग ने ज़ोर पकड़ा है। यही नहीं, विपक्षी दलों ने तो कुछ राज्यों के विधानसभा चुनावों में इसे सरगर्म मुद्दा बनाने में कामयाबी भी पाई है।
इस दौरान केंद्र सरकार द्वारा यूनिफ़ाइड पेंशन स्कीम यानी यूपीएस योजना को मंज़ूरी मिलने की खबर भी शनिवार शाम को सामने आ गई जबकि लंबे समय से नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) में सुधारों की मांग भी चल रही है।
आइए देखते हैं कि एनपीएस और ओपीएस के बाद यूपीएस की मंज़ूरी और इसके मायने क्या हैं।
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने वर्ष 2004 में ओल्ड पेंशन स्कीम यानी ओपीएस की जगह न्यू पेंशन सिस्टम यानी एनपीएस पेश किया। इस योजना में निश्चित पेंशन के प्रावधान को हटा दिया गया था।
इसके अलावा एनपीएस में कर्मचारियों का अंशदान अनिवार्य कर दिया गया। जिसके चलते दस प्रतिशत का अंशदान करने का प्रावधान कर्मचारी और सरकार के लिए समान रूप सेअनिवार्य बना दिया गया था।
डेढ़ दशक बाद बदलाव करते हुए वर्ष 2019 में सरकारी अंशदान को बेसिक सैलरी और डीए का 14 प्रतिशत कर दिया गया।
नए प्रावधान के तहत रिटायरमेंट के बाद कर्मचारी को अपनी कुल राशि का 60 प्रतिशत निकालने तथा शेष 40 प्रतिशत को कर्मचारी के लिए विभिन्न योजनाओं में लगानाअनिवार्य कर दिया गया। इन क्षेत्रों में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के अलावा वित्तीय संस्थाओं और निजी कंपनियों द्वारा जारी की जाने वाली योजनाओं को प्रोमोट करने की बात कही गई।
कर्मचारी के लिए इन कंपनियों का चुनाव पेश की गई स्कीमों के ‘निम्नतम’ से ‘उच्चतम’ जोख़िम के आधार पर करने की बात कही गई।
अब जायज़ा लें वर्तमान का तो यहाँ कर्मचारी यूनियनों की शिकायत है कि एनपीएस को लागू करते समय इसे ओपीएस से बेहतर बताया गया था, जबकि 2004 के बाद इसके तहत रियाटर कर्मचारियों की पेंशन बहुत ही मामूली है।
इतना ही नहीं, इस कर्मचारियों को शिकायत है कि उनको अपना अंशदान भी देना पड़ रहा है। वहीँ ओपीएस में मिलने वाली पेंशन सरकार द्वारा मुहैया कराई गई सामाजिक सुरक्षा योजना पर पूरी तरह निर्भर थी।
कर्मचारियों का यह भी कहना है कि नए यूपीएस में कर्मचारी के अपने अंशदान संबंधी स्पष्ट जानकारी भी नहीं दी गई है।
दूसरी तरफ यूपीस में नौकरी छोड़ने पर ग्रैच्युटी के अलावा एकमुश्त रक़म दिए जाने की बात कही गई है। इसका आंकलन कर्मचारियों के हर छह महीने की सेवा पर मूल वेतन तथा महंगाई भत्ते के दसवें हिस्से के रूप में होगी।
इस योजना के अगले साल पहली अप्रैल से लागू होने की बात कही गई है जिसका लाभ केंद्र सरकार के 23 लाख कर्मचारियों को मिलेगा।