वैज्ञानिकों ने पर्यावरण-अनुकूल बैटरियों के प्रदर्शन और क्षमता को इलेक्ट्रिक वाहनों और स्मार्टफ़ोन में पाई जाने वाली बैटरियों के बराबर लाने का तरीका ढूंढ लिया है। इसे कार्बनिक इलेक्ट्रोड से बनी बैटरियों के उपयोग की दिशा में एक बड़ा कदम बताया जा रहा है।
वैज्ञानिकों की सफलता से जैविक इलेक्ट्रोड पर आधारित बैटरियों के व्यावसायीकरण में तेजी लाने में मदद मिल सकती है। ये बैटरियां मानक लिथियम-आयन बैटरियों की तुलना में सस्ती और अधिक इको फ्रेंडली हैं।
रिसर्च पेपर के अनुसार, लिथियम-आयन बैटरी में कार्बनिक इलेक्ट्रोड का सस्ता होना और कुदरती तौर पर इनकी प्रचुरता उनके महत्व को रेखांकित करती है।
पेपर में बताया गया है कि इलेक्ट्रोलाइट में एक्टिव सामग्रियों का विघटन ही लिथियम-आयन बैटरी में उनके उपयोग में एक बड़ी रुकावट है।
दक्षिण कोरिया के उल्सान नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (यूएनआईएसटी) और हन्यांग विश्वविद्यालय के रिसर्चर की एक टीम ने अध्ययन में कार्बनिक इलेक्ट्रोड सामग्री से संबंधित सीमाओं को संबोधित करने का प्रयास किया।
New kind of eco-friendly battery could replace existing technology after huge breakthroughhttps://t.co/BikWC6jCnm
— The Independent (@Independent) February 26, 2024
पहले, ये बैटरियां 20 चार्जिंग चक्रों के बाद 50 प्रतिशत से अधिक चार्जिंग कैपेसिटी खो देती थीं, लेकिन नई तकनीक का उपयोग करके, डाइल्यूट इलेक्ट्रोड की मदद से, बैटरी 1,000 चार्जिंग चक्रों के बाद भी 91 प्रतिशत से अधिक चार्जिंग कैपेसिटी बनाए रखने में सक्षम थी।
यूएनआईएसटी के प्रोफेसर वोन-जिन क्वाक इस बारे में कहते है कि यह शोध कार्बनिक इलेक्ट्रोड से बनी बैटरियों के उपयोग की दिशा में एक बड़ा कदम है।