कैलिफोर्निया में किए गए एक ग्लोबल विश्लेषण में पाया गया है कि एंटीबायोटिक-प्रतिरोधी बैक्टीरिया या वायरस के कारण होने वाले संक्रमण से 2050 तक 39 मिलियन से अधिक लोगों की मौत का अंदेशा है।
द लांसेट में इस महीने प्रकाशित एक रिपोर्ट से पता चलता है कि 1990 और 2021 के बीच, दवा-प्रतिरोधी संक्रमणों (drug-resistant infections) हर साल एक मिलियन से अधिक लोगों की मौत का कारण बना है। रिपोर्ट के अनुसार, यह संख्या 2050 तक लगभग दो मिलियन तक बढ़ सकती है।
यूके में ग्लोबल रिसर्च ऑन एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (जीआरएएम) प्रोजेक्ट के तहत किए गए अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया कि एंटीबायोटिक दवाओं के प्रतिरोध से साल 2050 तक करीब 3.90 करोड़ लोगों की मौत हो सकती है।
इतना ही नहीं, यह प्रतिरोध अप्रत्यक्ष रूप से अतिरिक्त 1.69 करोड़ मौतों का कारण बन सकता है। समय रहते सुधारात्मक उपाय नहीं किए जाने पर 2050 तक वार्षिक मृत्यु दर 82 लाख का आंकड़ा पार कर सकती है।
एंटीबायोटिक प्रतिरोध उस समय होता है जब कोई बैक्टीरिया, एंटीबायोटिक दवा के प्रभाव से बचने के लिए विकसित हो जाता है। ऐसा होने पर एंटीबायोटिक दवाएं बैक्टीरिया पर बेअसर हो जाती हैं।
द लांसेट मेडिकल जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन के शोधकर्ताओं ने साल 1990 से लेकर 2021 के बीच तक़रीबन 31 साल के आंकड़ों का विश्लेषण करने के बाद यह अनुमान लगाया है। इसके लिए 204 देशों के सभी आयु वर्ग के करीब 52 करोड़ से ज्यादा लोगों के चिकित्सा दस्तावेज की पड़ताल की गई है।
रिपोर्ट का अनुमान है कि 2025 और 2050 के बीच, उचित एंटीबायोटिक दवाओं तक व्यापक पहुंच और इंफेक्शन के बेहतर इलाज से आबादी के एक हिस्से को बचाया जा सकता है।
कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, बर्कले के शोधकर्ता जोसेफ लियोनार्ड का कहना है कि प्रतिरोधी संक्रमण के भविष्य में हम कहां खड़े हैं, यह समझना सर्वोत्तम निर्णयों के लिए महत्वपूर्ण है।
उन्होंने कहा- “मुझे लगता है कि मरने वालों की संख्या शायद यहां बताई जा रही संख्या से कहीं अधिक है, खासकर उन देशों में जहां डेटा में अंतर है।”
आगे उन्होंने यह भी कहा कि दुनिया 2030 तक रोगाणुरोधी प्रतिरोध (antimicrobial resistance) के कारण होने वाली मौतों को कम करने के संयुक्त राष्ट्र के लक्ष्य को पूरा करने में विफल हो रही है।