अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ‘अमरीका को फिर से स्वस्थ बनाएं’ आह्वान के कारण राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान के वित्तपोषण में कटौती हुई है। इसके नतीजे में नौकरियां और महत्वपूर्ण अनुसंधान खतरे में पड़ गए हैं।
साइंस मैगज़ीन नेचर में प्रकाशित एक सर्वेक्षण से पता चला है कि सर्वेक्षण में भाग लेने वाले 75.3% वैज्ञानिक देश छोड़ने पर विचार कर रहे हैं, जबकि 24.7% ने ऐसा कोई इरादा ज़ाहिर नहीं किया है।
ऐसे युवा वैज्ञानिक जो अपने करियर की शुरुआत में हैं, ट्रंप की विवादास्पद नीतियों के कारण इन्होंने पुराने वैज्ञानिकों की तुलना में संयुक्त राज्य अमरीका छोड़ने पर विचार करने का अधिक दिखाया है।
गौरतलब है कि राष्ट्रपति के ‘अमरीका को फिर से स्वस्थ बनाएं’ आह्वान के कारण एनआईएच के वित्तपोषण में कटौती हुई है। इसके नतीजे में नौकरियां और महत्वपूर्ण अनुसंधान खतरे में पड़ गए हैं।
पत्रिका द्वारा किए गए सर्वेक्षण में 690 स्नातकोत्तर शोधकर्ता भी शामिल थे, जिनमें 548 डॉक्टरेट छात्र और 340 छात्र शामिल थे। ये संयुक्त राज्य अमरीका छोड़ने पर विचार कर रहे थे। इनमें से 255 का कहना है कि वे देश छोड़कर अधिक विज्ञान-अनुकूल देशों में जाने पर भी विचार कर रहे हैं।
बताते चलें कि ट्रंप प्रशासन ने वैज्ञानिकों सहित हजारों संघीय कर्मचारियों को नौकरी से निकालने का आदेश दिया है, और फिर अदालती आदेशों के माध्यम से उनकी बहाली की है। इस हालत के चलते यहाँ अराजकता का माहौल पैदा हो रहा है। माहौल खराब होने से इन लोगों को शोध कार्य करने में अड़चन का सामना करना पड़ रहा है।
अपने रोजगार के लिए यहाँ के बायोमेडिकल वैज्ञानिक, राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान (NIH) पर निर्भर हैं। एनआईएच अनुदान इन खर्चों के एक बड़े हिस्से का योगदान संभालता है। पिछले 50 से 75 वर्षों से एनआईएच दुनिया में बायोमेडिकल रिसर्च का सबसे बड़ा फंड मुहैया कराने वाला संसथान रहा है।
अंतर्राष्ट्रीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़, न्यूरोसाइंस, मधुमेह, ऑटिज्म और बर्ड फ्लू का अध्ययन करने वाले कई वैज्ञानिक इन हालात को लेकर भावुक दिखे। चिकित्सा के क्षेत्र में होने वाली अधिकतर प्रगति में एनआईएच फंडिंग का बड़ा योगदान रहा है।