ग़ाज़ा पट्टी में युद्धविराम समझौते के बाद बड़े स्तर पर सहायता सामग्री पहुंचाई जा रही है मगर यह आवश्यकता के अनुरूप नहीं है। संयुक्त राष्ट्र के मानवीय सहायताकर्मियों का कहना है कि यहाँ अब भी विशाल आवश्यकताएँ बरक़रार हैं, जिन्हें जल्द पूरा करना होगा।
इसरायल और हमास के बीच युद्धविराम समझौता रविवार, 19 जनवरी को लागू हो गया है। समझौते के बाद से युद्ध पर विराम है। इस समझौते के तहत इसरायली और फ़िलस्तीनी बन्दियों को रिहा किया गया है।
ओसीएचए प्रवक्ता ने जेनेवा में पत्रकारों को जानकारी देते हुए कहा कि ग़ाज़ावासियों के लिए सबसे बड़ी प्राथमिकता, उन तक भोजन पहुँचाना, अस्पतालों में ज़रूरी सामान की फिर व्यवस्था करना, जल आपूर्ति, नैटवर्क की मरम्मत करना, आश्रय व्यवस्था को ठीक करना और परिवारों को फिर से मिलाना है।
ग़ाज़ा की आबादी 20 लाख से अधिक है। यहाँ लोग बुनियादी आवश्यकताओं के लिए मानवीय सहायता पर निर्भर हैं। इनमें बच्चों की आबादी क़रीब 50 फ़ीसदी है और उनमें से ज़्यादातर को दिन में केवल एक बार ही भोजन मिल पा रहा है।
आगे वह कहते हैं कि इनमें से कई चीज़ों को हमने निरन्तर पूरा किया है, मगर जिस स्तर पर उसकी आवश्यकता थी, वैसा नहीं हो पाया। उन्होंने उम्मीद जताई है कि अब हम ऐसा करने में समर्थ होंगे।”
यूएन मानवतावादी कार्यालय (OCHA) ने जीवनरक्षक मानवीय सहायता में वृद्धि का स्वागत किया है, जहाँ पिछले 15 महीनों से इसरायली सैन्य कार्रवाई की वजह से हालात बेहद खराब हैं।
ओसीएचए प्रवक्ता येन्स लार्क के अनुसार रविवार को समझौते पर अमल होने के कुछ ही मिनटों के भीतर, सहायता ट्रकों ने ग़ाज़ा में प्रवेश करना शुरू कर दिया था। आगे उन्होंने बताया कि पिछले दो दिनों में सहायता ट्रकों की लूटपाट या राहतकर्मियों पर हमले जैसी कोई ख़बर सामने नहीं आई है।
येन्स लार्क के अनुसार, “अन्तत: बढ़े हुए स्तर पर सहायता मुहैया कराई जा रही है, और बन्धकों को रिहा किया गया है और वे अपने परिवारों से फिर मिल सकते हैं।”
आगे उन्होंने बताया कि महिलाओं और नाबालिगों को हिरासत से मुक्ति मिली है जो एक बड़ी उम्मीद है। उन्होंने इस बेहद नाज़ुक समझौते के बने रहने की उम्मीद भी जताई है।
संयुक्त राज्य अमरीका, क़तर और मिस्र की मध्यस्थता से इसरायल और हमास के बीच हुए समझौते के बाद सोमवार को ग़ाज़ा पट्टी में 900 से अधिक सहायता ट्रकों ने प्रवेश किया।
7 अक्टूबर 2023 को हमास व अन्य हथियारबन्द गुटों ने इसरायल पर हमले किए, जिसके बाद इसराइली सैन्य बलों ने ग़ाज़ा पट्टी में जवाबी कार्रवाई की। इस दौरान, ग़ाज़ा में राहत ट्रकों की आमद घटकर प्रतिदिन 50 ट्रक रह गई थी।
यूएन मानवतावादियों के अनुसार, ग़ाज़ा की पूर्ण आबादी 20 लाख से अधिक लोग, बुनियादी आवश्यकताओं के लिए मानवीय सहायता पर निर्भर हैं। इनमें बच्चे भी हैं जोकि ग़ाज़ा की क़रीब 50 फ़ीसदी आबादी है और उनमें से ज़्यादातर को पूरे दिन में केवल एक बार ही भोजन मिल पा रहा है।
येन्स लार्क ने आगे कहते हैं कि यहाँ व्यापक स्तर पर भूख फैली हुई है, लोग बेघर हैं, बीमारियाँ फैल रही हैं। बच्चे अपने परिवारों से अलग हो गए गए हैं और वे एक गहरे मानसिक सदमे में हैं, जिससे निपटे जाने की ज़रूरत है।
यूएन एजेंसी प्रवक्ता तारेक यासरेविच ने कहा कि फ़िलहाल प्राथमिकता, ग़ाज़ा के लोगों को जल्द से जल्द स्वास्थ्य सेवा प्रदान करना है और इस प्रक्रिया में आपात देखभाल, मातृत्व व बाल स्वास्थ्य और अन्य ज़रूरतों का ख़याल रखा जाएगा।
उन्होंने कहा कि यह नहीं भूलना होगा कि 12 हज़ार मरीज़ों को बेहतर इलाज के लिए ग़ाज़ा से बाहर भेजे जाने की ज़रूरत है और उन्हें आवश्यक देखभाल प्रदान करने की व्यवस्था की जानी होगी।
विश्व स्वास्थ्य संगठन से मिली जानकारी से पता चलता है कि ग़ाज़ा में हर दो में से एक अस्पताल में कामकाज ठप है, अन्य में आंशिक रूप से ही स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध हैं और अधिकाँश स्वास्थ्य केन्द्रों को क्षति पहुँची है।