हर साल दुनिया भर में वायु प्रदूषण के कारण 5.2 मिलियन मौतें होती हैं। ऐसे में विशेषज्ञों ने वायु प्रदूषण और जनसंख्या-संबंधी चुनौतियों के स्वास्थ्य प्रभावों से निपटने के लिए एक रणनीति तैयार की है।
वायु प्रदूषण से जुड़े जोखिमों और नीतियों को बेहतर ढंग से समझने के लिए बनाई गई यह रणनीति, जर्नल साइंस में प्रकाशित की गई है।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, शोधकर्ता विशेष रूप से निम्न और मध्यम आय वाले देशों में तथा कमज़ोर आबादी में वायु प्रदूषण के जोखिम और जोखिम मूल्यांकन पर इस अनुसंधान को प्राथमिकता देने की तत्काल आवश्यकता पर ज़ोर देते हैं।
वैश्विक आबादी का लगभग 99 फीसद खराब वायु गुणवत्ता के संपर्क में है। शोधकर्ता निम्न और मध्यम आय वाले देशों में वायु प्रदूषण के जोखिम के मूल्यांकन पर इस अनुसंधान को प्राथमिकता देने की तत्काल आवश्यकता पर ज़ोर देते हैं।
वायु प्रदूषण और ग्रीनहाउस गैसों का संपर्क विभिन्न गैर-संचारी रोगों के बढ़ते जोखिम से जुड़ा है। इसे फेफड़ों के कैंसर के लिए ग्रुप वन कार्सिनोजेन यानी कैंसर पैदा करने वाले एजेंट के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
अनुमान है कि वायु प्रदूषण के कारण हर साल दुनिया भर में 5.2 मिलियन मौतें होती हैं। डब्ल्यूएचओ ने सार्वजनिक स्वास्थ्य बोझ को कम करने के लिए 2021 में वायु प्रदूषण के लिए ग्लोबल एयर क्वालिटी गाइड लाइन (एक्यूजी) का अपडेट किया है।
ये गाइड लाइन वैश्विक वायु प्रदूषण के प्रतिकूल स्वास्थ्य प्रभावों की जांच करने वाले हालिया अध्ययनों के साक्ष्य पर आधारित थे। जो इस विषय में में बेहद खतरनाक संकेत देते हैं।
वैश्विक आबादी का लगभग 99% लगातार खराब वायु गुणवत्ता के संपर्क में है जो वैश्विक वायु गुणवत्ता दिशानिर्देशों से अधिक है। वे अप्रत्यक्ष रूप से बीमारी और विकलांगता से होने वाली वैश्विक मौतों से भी जुड़े हुए हैं, जो सालाना लगभग 41 मिलियन मौतों के बराबर है। अध्ययन से पता चलता है कि इनमें से 77 प्रतिशत मौतें निम्न और मध्यम आय वाले देशों में होती हैं।
इसके आधार पर विशेषज्ञों का मानना है कि वायु प्रदूषण और जनसंख्या-संबंधी चुनौतियों के स्वास्थ्य प्रभावों से निपटने के लिए जो रणनीति तैयार की गई है, उनमे विशेष रूप से निम्न और मध्यम आय वाले देशों में तथा कमज़ोर आबादी पर खास ध्यान दिया जाए।