ब्रिटिश कोलंबिया के वैज्ञानिकों का कहना है कि दुनिया के जलवायु संकट का संभावित समाधान समुद्र के तल में हो सकता है।
इस जानकारी में आगे कहा गया है कि दुनिया भर के महासागरों के तल पर जमा बेसाल्ट चट्टानों (basalt rock) में कार्बन डाइऑक्साइड को रोकने और वायुमंडल से ग्रह को गर्म करने वाली गैस को हटाने में मदद करने की क्षमता है।
वैज्ञानिकों का अनुमान है कि दुनिया भर में बेसाल्ट चट्टान स्थायी रूप से पृथ्वी के सभी जीवाश्म ईंधन से निकलने वाले कार्बन से ज़्यादा कार्बन जमा कर सकती है।
ऐसा करने के लिए वैज्ञानिकों की एक टीम तट से दूर ख़ास स्थानों में फ्लोटिंग रिग का निर्माण करना चाहती है जो समुद्र तल से तेल निकालने के बजाय उन्हें कार्बन डाइऑक्साइड से भर देगी जो कि अपतटीय रिग्स (offshore rigs) वर्तमान में कर रहे हैं।
मानचित्र पर पीले क्षेत्र बेसाल्ट आधारशिला को दर्शाते हैं, जिसका उपयोग कार्बन भंडारण के लिए किया जा सकता है।
ये फ्लोटिंग स्टेशन, अपने स्वयं के विंड टरबाइनों द्वारा संचालित, वायुमंडल के साथ समुद्र से भी कार्बन डाइऑक्साइड का आसवन करेंगे और इसे समुद्र तल में बने होल में पंप करेंगे।
वैज्ञानिक अपने प्रोजेक्ट को ‘सॉलिड कार्बन’ कहते हैं क्योंकि अगर कोशिश सफल रही तो गड्ढों में भरी कार्बन डाइऑक्साइड हमेशा के लिए समुद्र तल में फंस जाएगी।
इस परियोजना पर काम कर रहे भूभौतिकीविद् और ओशन नेटवर्क्स कनाडा के स्टाफ वैज्ञानिक मार्टिनशेरवाथ ने बिजनेस इनसाइडर को बताया, “इससे कार्बन भंडारण बहुत टिकाऊ और सुरक्षित हो जाता है।”
शेरवाथ के अनुसार, कनाडा के पश्चिमी तट से दूर वैंकूवर द्वीप के पास कैस्केडिया बेसिन में वैश्विक कार्बन उत्सर्जन के लिए एक फील्ड टेस्ट करने की योजना बना रहे हैं।
हालांकि अभी तक यह निश्चित नहीं है कि ये समुद्री कार्बन हटाने वाली फैक्ट्रियाँ उम्मीद के मुताबिक काम करेंगी या नहीं। इस प्रोजेक्ट का परीक्षण करने के लिए वैज्ञानिकों को समुद्र में एक प्रोटोटाइप बनाना होगा, जिसकी लागत लगभग 60 मिलियन डॉलर होगी।