उत्तरप्रदेश के वाराणसी के जिस मकान में उस्ताद बिस्म्मिल्लाह खां की शहनाई परवान चढ़ी, जिसकी हर दरोदीवार पर उस्ताद की यादें सिमटी हैं और फज़्र की नमाज़ के बाद जिस कमरे में उस्ताद शहनाई का रियाज़ करते थे उस कमरे पर हथौड़ा चला है.
एक पक्ष उस मकान को तोड़कर व्यावसायिक केंद्र बनाना चाहता है तो दूसरा पक्ष उसे धरोहर के रूप में बचाए रखना चाहता है. फिलहाल ये विवाद बड़ा हो गया है और इसमें अब स्थानीय प्रशासन ने हस्तक्षेप किया है. वाराणसी प्राधिकरण ने वहां चल रहे काम को रुकवा दिया है.
बिस्म्मिल्लाह खां के मकान की छत पर उस कमरे का मलबा रखा है जहां कभी उस्ताद फज़्र की नमाज़ के बाद शहनाई का रियाज़ किया करते थे. आज यह स्थान बिखर गया. इस टूट फूट से परिवार और आस-पड़ोस के कुछ लोग आहत हैं.
गौरतलब है कि बिस्मिल्लाह खां के पांच लड़के थे जिनमें से तीन की मौत हो चुकी है. दो बेटों का परिवार इसी मकान में रहता है. परिवार की माली हालत ठीक नहीं है, लिहाजा कुछ लोग इस मकान का कामर्शियल उपयोग करना चाहते हैं ताकि उनकी रोज़ी रोटी चल सके.
इस तोड़फोड़ को लेकर संगीत जगत के लोगों को भी एतराज है. बिस्मिल्लाह खां की दत्तक पुत्री संगीतज्ञ सोमा घोष ने कहा कि ”भारत रत्न बिस्मिल्लाह खां का घर हम सभी कलाकारों के लिए एक मंदिर की तरह है.
वहां उन्होंने साधना की थी और आखिरी सांस तक उसी कमरे में रहे, कहीं नहीं गए बनारस को छोड़कर. हमारी डीएम और कमिश्नर साहब से गुज़ारिश है कि वह कमरा, वह याद पूरे भारत की है, उसे बचा लिया जाए.”