घातक इबोला बुखार का इलाज ढूंढने की दिशा में डॉक्टर एक कदम और आगे बढ़ गए हैं. क्लिनिकल ट्रायल के दौरान प्रायोगिक दवा के इस्तेमाल से जान बचाने में 90 फीसदी तक कामयाबी मिली है.
डेमोक्रैटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो यानी डीआरसी में इबोला वायरस के संक्रमण से जूझ रहे लोगों को दो प्रायोगिक दवाएं दी जाएगी. इन्हें फार्मा कंपनी रिजेनेरॉन ने विकसित किया है इनमें एक है- एंटीबॉडी कॉकटेल आरईजीएन-ईबी3 और दूसरी है- मोनक्लोनल एंटी बॉडी एमएबी114.
अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इनफेक्शियस डिजीज (एनआईएआईडी) के मुताबिक इन दवाओं ने “साफ तौर पर अच्छे” नतीजे दिखाए हैं. चार संभावित इलाजों का परीक्षण किया गया. कांगो में इबोला वायरस के संक्रमण का यह दूसरा साल है.
इलाज के दूसरे दो तरीकों की तुलना में इन दवाओं ने बेहतर नतीजे दिखाए. एनआईएआईडी का कहना है कि दूसरी दवाओं का इस्तेमाल जिन मरीजों पर किया गया, उनमें करीब आधे मरीजों की इस बीमारी की वजह से मौत हो गई.
कांगो के नेशनल बायोमेडिकल रिसर्च सेंटर (आईएनआरबी) के महानिदेशक ज्यां जैक्स मुएम्बे ने संयुक्त रूप से इन परीक्षणों का नेतृत्व किया था. उनका कहना है “अब से , हम यह नहीं कहेंगे कि इबोला का इलाज नहीं है. इस प्रगति से हजारों लोगों की जान बचाने में मदद मिलेगी.”
एनआईएआईडी का कहना है कि इलाज के लिए लाए गए जिन मरीजों के खून में इस वायरस का संक्रमण निचले स्तर का था उनमें से आरईजीएन-ईबी3 के इस्तेमाल से 94 फीसदी और एमएबी114 के इस्तेमाल से 89 फीसदी मरीज ठीक हो गए.
पूर्वी कांगो में इबोला अगस्त 2018 से ही फैल रहा है. इसने अब तक कम से कम 1,800 लोगों की जान ली है. इसे नियंत्रित करने की कोशिशों में यहां चल रही हिंसा और बाहरी लोगों से मदद नहीं लेने की प्रवृत्ति की वजह से बाधा आ रही है. पश्चिमी अफ्रीका में 2013 से 2016 के बीच इबोला वायरस ने बड़ी तेजी से सिर उठाया था और तब यह अपने सबसे विकराल रूप में सामने आया था. गिनी, लाइबेरिया और सिएरा लियोन में इसकी वजह से 11,300 लोगों की जान गई.
लैम्बारिनी पश्चिमी अफ्रीका के गाबोन देश का एक शहर है, जहां रहने वाले कुल 25,000 निवासियों में से ज्यादातर का गुजारा मछली पकड़ने के काम से ही होता है. यह अपने अल्बर्ट श्वाइत्सर अस्पताल के कारण प्रसिद्ध है.
कांगो में इसके इलाज का परीक्षण पिछले साल नवंबर में शुरू किया गया. यह काम विश्व स्वास्थ्य संगठन के सहयोग से एक अंतरराष्ट्रीय रिसर्च ग्रुप कर कर रहा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के आपातकालीन कार्यक्रम के प्रमुख माइक रेयान का कहना है,”आज की खबर शानदार है, इसने हमारे औजारों के बक्से में इबोला के खिलाफ एक नया औजार दे दिया है लेकिन सिर्फ इससे इबोला नहीं रुकेगा.”
कांगों के अलग अलग उपचार केंद्रों में 681 मरीजों का नाम इन दवाओं के परीक्षण के लिए पहले ही दर्ज कर लिया गया है. रिसर्च का लक्ष्य 725 मरीजों पर इस दवा का इस्तेमाल करना है.