दुनिया की आबादी तेजी से बढ़ रही है. इस वक्त दुनिया में 7.7 अरब लोग हैं लेकिन 2050 तक यह संख्या बढ़ कर 9.7 अरब हो सकती है. यही नहीं, भारत जल्द दुनिया का सबसे ज्यादा आबादी वाला देश बनने की राह पर है.
वैश्विक जनसंख्या पर संयुक्त राष्ट्र की ताजा रिपोर्ट कहती है कि 2050 तक सब सहारा अफ्रीका में आबादी लगभग दोगुनी हो जाएगी. रिपोर्ट में भारत के बारे में कहा गया है कि वह आठ साल में चीन को पीछे छोड़ते हुए दुनिया का सबसे ज्यादा आबादी वाला देश बन सकता है.
India's population to surpass China "around 2027": UN report https://t.co/P19L8wk9DC pic.twitter.com/Km4m42a1oh
— NDTV (@ndtv) June 18, 2019
1990 में दुनिया भर में प्रति महिला जन्म लेने वाले बच्चों की दर 3.2 थी जो 2019 में घटकर 2.5 हो गई है. 2050 तक इसके 2.2 हो जाने की उम्मीद है. भारत में अभी प्रति महिला प्रजनन दर 2.2 है. रिपोर्ट कहती है कि दुनिया भर में प्रजनन दर घट रही है लेकिन लोगों की औसत उम्र बढ़ रही है. इस कारण आबादी बढ़ने का सिलसिला जारी है. अनुमान है कि 2100 तक दुनिया की आबादी 11 अरब को छू लेगी.
वहीं इस समय दुनिया में सबसे ज्यादा आबादी वाले देश चीन की जनसंख्या 2019 से 2050 के बीच 3.14 करोड़ कम हो सकती है. प्रजनन दर में कमी के कारण दुनिया के 27 देशों या इलाकों की जनसंख्या में 2010 से कम से कम एक प्रतिशत की कमी आई है. बेलारूस, एस्टोनिया, जर्मनी, हंगरी, इटली, जापान, रूस, सर्बिया और यूक्रेन जैसे देशों में जितने बच्चे पैदा हो रहा हैं, उससे ज्यादा तादाद में लोग मर रहे हैं. लेकिन इन देशों में पहुंचने वाले प्रवासी वहां की जनसंख्या में जुड़ रहे हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक 2050 तक दुनिया की आधी से ज्यादा जनसंख्या वृद्धि सिर्फ नौ देशों में होगी जिनमें भारत, नाइजारिया, पाकिस्तान, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो, इथियोपिया, तंजानिया, इंडोनेशिया, मिस्र और अमेरिका शामिल हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि 2050 तक वैश्विक जीवन प्रत्याशा दर 77.1 वर्ष हो सकती है जो अभी 72.6 साल है. 1990 में यह दर 64.2 वर्ष थी.
संयुक्त राष्ट्र में आर्थिक और सामाजिक मामलों के सहायक महासचिव लू चेनमिन कहते हैं, “जिन देशों में सबसे ज्यादा आबादी बढ़ रही है, उनमें ज्यादातर दुनिया के सबसे गरीब देशों में शुमार होते हैं. वहां जनसंख्या बढ़ने की वजह से गरीबी खत्म करने जैसे प्रयासों के लिए चुनौतियां बढ़ेंगी.” इसके अलावा लैंगिक समानता, स्वास्थ्य देखभाल बढ़ाना और सब तक शिक्षा पहुंचाना भी और मुश्किल होगा.