म्यांमार के एक जज ने रॉयटर्स के दो पत्रकारों को ऑफिशियल सीक्रेट ऐक्ट का दोषी ठहराते हुए सात-सात साल जेल की सजा सुनाई है. रॉयटर्स संवाददाता वा लोन और क्याव सोय ओ रखाइन प्रांत में रोहिंग्या मुसलमानों के उत्पीड़न और हत्या की दर्जनों घटना पर रिपोर्ट तैयार कर रहे थे.
न्यायाधीश ये लवीन ने अदालत में कहा, ‘चूंकि उन्होंने गोपनीयता कानून के तहत अपराध किया है, दोनों को सात-सात साल जेल की सजा सुनायी जा रही है.’ कोर्ट के इस आदेश को मीडिया की स्वतंत्रता पर एक हमले के तौर पर देखा जा रहा है.
दरअसल इन पत्रकारों को दो पुलिसकर्मियों से मुलाकात के बाद 12 दिसंबर 2017 की रात को गिरफ्तार किया गया था. सरकारी वकील के अनुसार, इन पुलिसवालों ने कथित रूप पर उन्हें गोपनीय दस्तावेज सौंपे थे.
इस मामले की जांच 9 जनवरी से शुरू हुई और आरोप औपचारिक रूप से 9 जुलाई को दाखिल किए गए थे. इन दोनों को तब से बिना जमानत के हिरासत में रखा गया था और अदालत के सामने करीब 30 बार पेश किया गया.
पुलिस कप्तान मोए यान नाइंग ने अप्रैल में गवाही दी थी कि एक वरिष्ठ अधिकारी ने उसे व उसके अधीनस्थों को वा लोन को गुप्त दस्तावेज देने का आदेश दिया था.
उधर दोनों पत्रकारों ने गुहार लगाई थी कि उन्हें म्यांमार के ऑफिशियल सीक्रेट ऐक्ट का उल्लंघन करने का दोषी ना ठहराया जाए. उन्होंने दलील दी थी कि रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ म्यांमार की क्रूर कार्रवाई के संबंध में खोजी पत्रकारिता करने और उसकी खबरें लिखने के लिए पुलिस ने उनके खिलाफ कार्रवाई की है.
इस मामले में संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटारेस ने बिना किसी का नाम लिए जोर देकर कहा था कि ‘हमें पत्रकारों की रिहाई के लिए भी दबाव जारी रखना चाहिए जो इस मानवीय त्रासदी पर रिपोर्ट कर रहे हैं.’