यह प्रदर्शन इराक़ के बसरा शहर से शुरु हुए, शहर के प्रदर्शन कारी इस क्षेत्र में सक्रिय विदेश पेट्रोलियम कंपनियों में स्थानीय युवाओं को रोज़गार दिए जाने की मांग कर रहे थे, उसके बाद वासित शहर में बिजली की खराब स्थिति के विरुद्ध प्रदर्शन शुरु हुए। जिसके बाद यह बढ़ते बढ़ते दूसरे शहरों तक भी पहुँच गए।
उल्लेखनीय है कि यह प्रदर्शन शनिवार तक जारी थे, और उत्तरी बसरा में पेट्रोलियम फील्ज मजनून प्रतिष्ठान के सामने प्रदर्शन किया है।
मैदानी सूत्रों की रिपोर्ट बताती हैं कि शुक्रवार 13 जूलाई को हुए प्रदर्शनों ने पहले से अशांति से जूझ रही आंतरिक स्थिति को और अधिक बुरा बना दिया है, और बसरा, मीसान, ज़ीकार, बाबुल, दीवानिया, वासित, कर्बला और नजफ़ के लोगों ने प्रदर्शन आयोजित करके, देश की हालिया स्थिति पर रोष प्रकट किया है।
इसी के साथ ही कुवैत ने इराक़ से लगती अपनी सीमा पर रेड एलर्ट जारी कर गिया है। एक समाचार सूत्र ने न्यूज़ चैनल अससूमरिया को बताया है कि बसरा में प्रदर्शनकारियों ने आज 15 जूलाई को इराक़ और कुवैत की सीमा पर स्थिति सीमावर्तीय कारीडोर को बंद कर दिया है।
इराक़ के प्रधानमंत्री और इराक़ी सशस्त्र बलों के प्रमुख ने भी पूरे देश में जारी प्रदर्शनों पर प्रतिक्रिया देते हुए, पूरे देश के सुरक्षा बलों को रेड एलर्ट पर रख दिया है, और पूरे देश में उच्चतम सुरक्षा एलर्ट जारी कर दिया है।
हालांकि शुक्रवार की सुबर से नजफ़ के अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट से प्रदर्शनकारियों के हटने के साथ ही उड़ानों का सिलसिला दोबारा शुरू हो गया है, और सुरक्षा बलों ने नजफ़ का कर्फयू भी समाप्त कर दिया है।
बताते चलें कि प्रदर्शनकारियों ने शुक्रवार को नजफ़ एयरपोर्ट का घेराव करके उड़ानों को रोक दिया था।
ईराक़ के धर्मगुरू आयतुल्लाह सीस्तानी के प्रतिनिधि ने करबला में जुमे की नमाज़ में धर्मगुरू द्वारा जनता की मागों के समर्थन के एलान के साथ ही प्रदर्शनकारियो के बीच अराजक तत्वों की उपस्थिति के प्रति चेतावनी दी है।
इसी के साथ ही इराक़ की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद ने शनिवार को बताया है कि इस देश के खुफिया विभाग को इराक़ के दक्षिण और केंद्र में प्रदर्शकारियों के बीच जासूसों और अराजक तत्वों की उपस्थिति की खबर मिली है।
इराक़ के प्रधानमंत्री कार्यालय ने एक बयान जारी करके कहा है कि छोटे छोटे प्रशिक्षित गुट कोशिश कर रहे हैं कि जनता के शांति पूर्ण प्रदर्शनों की आंड़ में सरकारी विभागों और प्राइवेट प्रापर्टियों पर हमला करके उनको नुकसान पहुँचाएं।
रिपोर्ट बताती हैं कि इराक़ के दक्षिण में होने वाले प्रदर्शनों में सऊदी शासन का हाथ है, और बताया जा रहा है कि सऊदी ने इराक़ की बअस पार्टी और दाइश के करीबी सदस्यों को दक्षिणी इराक़ में अराजकता फैलाने के लिए प्रदर्शनों का सहारा लेने का आदेश दिया है।
इराक़ की सरकार ने तीन वर्षों तक दाइस से युद्ध किया है, और इन वर्षों में उसने अपने वित्तीय स्रोतों को सेना के लिए हथियार और संसाधन खरीदने में लगा दिया है। ताकि इस तकफीरी गुट से देश की रक्षा की जा सके।
बहुत से विश्लेषकों का मानना है कि इराक़ में भ्रष्टाचार के बढ़ने में अमरीका की बड़ी भूमिका है, और इस प्रकार से अमरीका आंतरिक अशांति का प्रयोग करके इराक़ में अपनी क्षेत्रीय नीतियों को लागू करना चाहता है।