अमरीकी विदेश मंत्रालय ने मानव तस्करी के बारे में अपनी सालाना रिपोर्ट में एक बार फिर इस्लामी गणतंत्र ईरान के ख़िलाफ़ निराधार इल्ज़ाम लगाए हैं।
अमरीकी विदेश मंत्रालय ने मानव तस्करी के बारे में अपनी सालाना रिपोर्ट में एक बार फिर इस्लामी गणतंत्र ईरान के ख़िलाफ़ निराधार इल्ज़ाम लगाए हैं, जिस पर ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता बहराम क़ासेमी ने सोमवार को कहा कि अमरीकी सरकार इस तरह के क़दम के ज़रिए विश्व जनमत के ध्यान को पश्चिम एशिया और अफ़्रीक़ा सहित दुनिया भर में अपनी हस्तक्षेपूर्ण नीतियों की ओर से हटाना चाहती है कि जिसकी वजह से मानव तस्करी के सुनियोजित नेटवर्क वजूद में आए हैं।
अमरीकी विदेश मंत्रालय ने “मानव तस्करी” शीर्षक के तहत सालाना रिपोर्ट में ईरान को उत्तर कोरिया, नेपाल, सोमालिया, दक्षिण सूडान, यमन सहित कई दूसरे देशों को मानव तस्करी के ख़िलाफ़ संघर्ष करने वाले देशों की दर्जाबंदी में तीसरी सतह पर रखा है।
इस्लामी गणतंत्र ईरान उन देशों में है जो वर्षों पहले मानव तस्करी से निपटने के उद्देश्य से क़ानून बना चुके हैं। इस्लामी गणतंत्र ईरान के संविधान की धारा 156 में अपराध की पूर्व रोकथाम पर साफ़ तौर पर बल दिया गया है जिससे इस तरह के अपराध से निपटने की अहमियत का पता चलता है।
मानव तस्करी जैसे सुनियोजित अपराध के विषय में देशों की दर्जाबंदी सहित एकपक्षीय कार्यवाही और स्वाधीन देशों के ख़िलाफ़ द्वेषपूर्ण रिपोर्टें न सिर्फ़ यह कि अंतर्राष्ट्रीय अधिकार के नियम व मानदंड से विरोधाभास रखती हैं बल्कि इन अपराधों से निपटने में सरकारों के बीच अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को भी कमज़ोर करती हैं और इस दृष्टि से अमरीका को अपनी कार्यवाही का जवाब देना चाहिए।
इस बात में शक नहीं कि मानव तस्करी का कारण एकपक्षवादी नीतियों, थका देने वाली जंगों, नस्ली सफ़ाए और आतंकवाद में ढूंढना चाहिए कि इनमें से ज़्यादातर में अमरीका और उसके घटक लिप्त हैं।)