पटना: शरद यादव की राज्यसभा सदस्यता के मुद्दे पर फैसला 30 अक्टूबर को संभावित. राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने जनता दल यूनाइटेड के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव और अली अनवर को 30 अक्टूबर को बुलाया हैं. इन दोनों नेताओं को राज्यसभा सदस्यता रद्द करने के नोटिस पर अपना पक्ष रखना है. उम्मीद की जा रही हैं कि शरद यादव, अपना पक्ष रखने के लिये पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के सांसद कपिल सिब्बल के साथ आएंगे. हालांकि इसके पूर्व राज्यसभा सचिवालय के नोटिस पर शरद ने ख़ुद के असली जनता दल यूनाइटेड होने का दावा किया था. उन्होंने इसके समर्थन में 200 पेज का दस्तावेज़ भी जमा कराए हैं.
राज्यसभा सचिवालय के इस नोटिस पर सांसद अली अनवर का कहना हैं कि पता नहीं, नीतीश कुमार और उनके समर्थकों को हमारी सदस्यता रद कराने की इतनी जल्दी क्यों हैं? वैसे, शायद उन्हें भी इस बात का अहसास है कि राजद के मंच पर जाने के बाद सदस्यता बचने की कोई ज़्यादा उम्मीद नहीं है.
शरद, नीतीश कुमार के भाजपा के साथ जाने से नाराज़ हैं. हालांकि उनके नज़दीकी लोग मानते हैं कि नीतीश के पास बहुत ज़्यादा विकल्प नहीं बचे थे लेकिन सीएम ने फ़ैसले के पहले उन्हें (शरद को ) बताने की ज़रूरत भी नहीं समझी. नीतीश ने बाग़ी तेवर के बावजूद शरद को पार्टी से नहीं निकाला लेकिन जनता में एक संदेश देने की कोशिश ज़रूर की कि इस जदयू नेता ने ख़ुद पार्टी की सदस्यता त्याग दी है. राज्यसभा में पार्टी के नेता आरसीपी सिंह ने फिर कहा कि शरद ख़ुद से सदस्यता का त्याग कर दें जिससे न सिर्फ पार्टी बल्कि राज्यसभा सचिवालय का भी समय बचेगा. इसके पीछे नीतीश कुमार की कोशिश यह है कि बिना ज़्यादा सार्वजनिक विवाद के ये मामला सुलझ जाए तो सभी के लिये बेहतर होगा.
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