सीहोर। मप्र सरकार राज्य में सुशासन के भले ही दावे करे, पर यहां के कुछ इलाकों में दबंगों का ही सिक्का पुजता है। इसका जीता-जागता उदाहरण है सीहोर जिले की नसरुल्लागंज तहसील। अपनी जमीन के लिए 14 साल से लड़ाई लड़ रहे इस तहसील के ग्राम वासुदेव, बोरखेड़ी, सोनखेड़ी, गोपालपुर के आदिवासी परिवारों ने अब थक हारकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से इच्छामृत्यु की मांगी है। मध्यप्रदेश में दलित-आदिवासियों की ऐसी हालत को बयां करती इस खबर ने शिवराज के सुशासन पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं।
इन गांवों के भूमिहीन आदिवासी परिवारों को वर्ष 2002 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने ढाई एकड़ प्रति परिवार के हिसाब से जमीन पट्टे पर दी थी। सरकार से पट्टे 117 परिवार को मिले, लेकिन वासुदेव गांव के 30, बोरखेड़ी के 22 परिवारों को पट्टे की जमीन पर अभी तक सब्जा नहीं मिला।
ग्राम बोरखेड़ा, वासुदेव के ग्रामीण रामप्रसाद पिता शिवलाल, सुखिया पत्नी रामप्रसाद, अर्जुन सिंह पिता जालम सिंह ने बताया कि पट्टे की जमीन पर कब्जा दिलाने की मांग को लेकर हम कई बार धरना-प्रदर्शन कर चुके, लेकिन अफसरों ने अभी तक हमारी नहीं सुनी है। बार-बार मांग करने के बाद भी सुनवाई नहीं होने पर हमने प्रदेश सरकार के मुखिया शिवराज सिंह चौहान से इच्छा मृत्य की मांग की है।
आलम सिंह आदिवासी पिता विश्राम सिंह, कमला बाई पत्नी आलम सिंह आदिवासी, रूगनाथ पिता सुखलाल आदिवासी ने बताया कि हम जब भी पट्टे की जमीन पर कब्जा लेने के लिए आते हैं कब्जाधारी दबंग हमारे साथ अभद्रता करते हैं। कई बार हमें दौड़ा-दौड़ा कर पीटा है। जमीन पर जाओ तो दबंग मारते हैं, थाने जाओ तो पुलिस सुनवाई नहीं करती।
नसरुल्लागंज तहसील के ग्राम वासुदेव, बोरखेड़ी, सोनखेड़ी, गोपालपुर गांव के भूमिहीन आदिवासी परिवार बुदनी विधानसभा के निवासी हैं। बुदनी विधानसभा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का क्षेत्र है। सीएम के गृह जिले में आदिवासी परिवारों की इतनी खराब स्थिति चिंता का विषय है।