वाशिंगटन : अमेरिकी सरकार ने कुछ इंटरनेशनल फ्लाइट्स में इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस को कैरी ऑन के तौर पर ले जाने से बैन लगा दिया है. अमेरिका के बाद ब्रिटेन ने भी ऐसा ही फैसला किया है. Laptop
यानी कुछ मुस्लिम देशों के यात्री अपने साथ प्लेन में लैपटॉप लेकर बैठ नहीं सकते, बल्कि इसे लगेज के तौर पर चेक-इन करा सकते हैं.
इससे कई सवाल भी खड़े हो रहे हैं, कि जब बैगैज में ले जाया जा सकता है तो केबिन में क्यों नहीं.
नए बैन के मुताबिक ज्यादातर मुस्लिम देशों के 10 एयरपोर्ट से अमेरिका के लिए यात्रा करने वाले पैसेंजर्स को अपने स्मार्टफोन के अलावा दूसरे पर्सनल इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस बैगेज में चेक इन कराना होगा. इनमें लैपटॉप, टैबलेट्स, आईपैड्स और इलेक्ट्रॉनिक गेमिंग डिवाइस शामिल हैं.
डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी डायरेक्टिव ने फिलहाल यह तो साफ नहीं किया है किन कारणों से ऐसा किया जा रहा है. लेकिन एक घटना के बारे में बताया गया है जो फरवरी 2016 की है.
इस दौरान सोमाली पैसेंजर जेट में लैपटॉप में धमाका हो गया था जिसके बाद प्लेन की इमरजेंसी लैंडिंग कराई गई. इस घटना में संदिग्ध बॉम्बर मारा गया. एक्स्पर्ट्स का मानना है कि फोन में ऐसे ब्लास्ट के खतरे नहीं होते.
इस बैन से यह भी सवाल उठ रहे हैं कि अगर चेक्ड बैगेज में ले जा सकते हैं तो अपने साथ क्यों नहीं? दलील दी जा रही है कि चेक करने के दौरान चेक्ड बैगेज को अलग स्क्रीनींग प्रोसेसर में भेजा जाता है जो कैरी ऑन स्कैनिंग के मुकाबले एडवांस्ड होता है. इसके अलावा फ्लाइट के दौरान पैसेंजर्स उसे यूज नहीं कर सकते हैं.
टाइम मैगजीन की रिपोर्ट के मुताबिक डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी के पूर्व काउंटर टेररिज्म एक्सपर्ट बेनेट वॉटर्स ने कहा है कि चेक्ड इन बैगेज और कैरी ऑन सामानों की जांच अलग तरह से की जाती है.
यह बैन अमान, जॉर्डन, कुवैत सिटी, कुवैत, कायरो, इस्तांबुल, जद्दा, रियाद, अबु धाबी, सउदी अरब, मोरक्को, दोहा, कतर, दुबई और अबु धाबी जैसे एयरपोर्ट्स पर यह बैन लागू है. ब्रिटेन ने भी छह देशों के एयरपोर्ट्स पर ऐसा ही बैन लागू किया है.
डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी के एक स्टेटमेंट के मुताबिक प्रभावित एयरपोर्ट और एयरलाइन्स को मौजूदा खतरों को देखते हुए चुना गया है.