नई दिल्ली। मुलायम सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी के झगड़े के बारे में कहा है कि रामगोपाल यादव की ओर से बुलाया गया विशेष अधिवेशन फर्जी है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष वे ही हैं। दिल्ली में प्रेस कांफ्रेंस में उन्होंने कहा, ”रामगोपाल को अधिवेशन बुलाने का कोई अधिकार नहीं। वह पार्टी से छह साल के लिए बर्खास्त थे। वे अधिवेशन नहीं बुला सकते थे। Mulayam singh
पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष मैं ही हूं। शिवपाल यादव राज्य अध्यक्ष हैं। अखिलेश यादव मुख्यमंत्री हैं। विरोधी गुट की ओर से जो किया जा रहा है, वह वैधानिक नहीं हैं।” मुलायम के बयान से साफ हो गया कि वे पीछे नहीं हटें हैं। साथ ही उनके रुख में भी किसी तरह की नरमी नहीं आई है। सूत्रों का कहना है कि मुलायम सिंह चुनाव आयोग से रामगोपाल यादव की ओर से दिए गए दस्तावेजों की वैधानिकता की जांच के लिए कह सकते हैं।
दिन में मुलायम ने दिल्ली में समर्थकों से कहा था, ”अखिलेश मेरा ही लड़का है। अब हम क्या करें। जो वह कर रहा है उसे करने दो। मार थोड़ी देंगे उसे। सब कुछ उसके पास है मेरे पास क्या हैं। मेरे पास तो गिनती के विधायक हैं।” इससे संकेत गया था कि उनका रुख नरम पड़ रहा है। साथ ही वे साइकिल पर दावेदारी को भी छोड़ सकते हैं। हालांकि उन्होंने सपा में झगड़े के सवाल को खारिज करते हुए कहा कि पार्टी में ऐसा कुछ नहीं है इसलिए समझौते का सवाल ही नहीं है।
पार्टी के भीतर चल रही कलह में अखिलेश का साथ दे रहे रामगोपाल ने सपा महासचिव की हैसियत से यह बैठक बुलाई थी। मुलायम सिंह अपनी पार्टी के नाम और चुनाव चिह्न ‘साइकिल’ पर दावा करने के लिए कल चुनाव आयोग जा सकते हैं। चुनाव आयोग ने दोनों पक्षों को अपने दस्तावेज प्रस्तुत करने के लिए कल तक का समय दिया है जिसके बाद आयोग तय करेगा कि इन दोनों पर किस खेमे का दावा सही है। अखिलेश के खेमा ने चुनाव आयोग को हलफनामा सौंपा जिसमें 90 प्रतिशत विधायकों और प्रतिनिधियों के हस्ताक्षर होने का दावा किया गया है। साथ ही 229 विधायकों में से 200 से अधिक विधायकों द्वारा मुख्यमंत्री को समर्थन दिए जाने का भी दावा इसमें किया गया है।