लखनऊ। इमाम हुसैन की याद में पूरे देश में चेहल्लुम सोमवार को पूरी अकीदत व एहतेराम से मनाया गया। लखनऊ, पटना, भोपाल, मुंबई, दिल्ली, कोलकाता, हैदराबाद, चेन्नई सहित देश के सभी बड़े शहरों में इस दिन इमाम हुसैन का याद कियागया। इसके अलावा छोटे शहरों और दूर दराज़ गांवों में भी इमाम हुसैन को याद करते हुये चेहल्लुम के मौके पर लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि पेश की। Chehallum India
लखनऊ में नाजिम साहब के इमामबाड़े से जुलूस शुरू हुआ। नाजिम साहब के इमामबाड़े से निकलकर ये जुलूस तालकटोरा कर्बला जाकर संपन्न हुआ। इमामबाड़ा नाजिम साहब में दोपहर 12 बजे मजलिस का आयोजन हुआ। मजलिस को इमाम-ए-जुमा मौलाना सैयद कल्बे जव्वाद नकवी ने खिताब किया।
मजलिस संपन्न होते ही इमामबाड़े से जुलूस के निकलने का सिलसिला शुरू हो गया। इस जुलूस में शहर की तमाम मातमी अंजुमन अपने अलम के साथ नौहाख्वानी व सीनाजनी करती नजर आई|ये जुलूस नाजिम साहब के इमामबाड़े से निकलकर नक्खास चौराहा, टूरियागंज, हैदरगंज, बुलाकी अड्डा, एवरेडी चौराहा होते हुए तालकटोरा कर्बला में संपन्न हुआ।
इस दौरान पूरे रास्ते इमाम हुसैन की याद में लोग सबीलों से प्यासों को पानी पिलाते रहे और लंगर खिलाते रहे। जुलूस में शामिल मातमी अंजुमनों ने या हुसैन की सदाओं के साथ मातम और कमा लगाकर अपने को लहूलुहान किया। ये सब इमाम हुसैन का गम मनाते हुये उन्हें याद करने के लिये था। जुलूस में हजरत अब्बास की निशानी अलम, हजरत इमाम हुसैन के छ: माह के बेटे हजरत अली असगर का गहवारा और हजरत इमाम हुसैन की सवारी का प्रतीक जुलजनाह शामिल रहे। अकीदतमंदों ने शबीह की जियारत कर दुआएं मांगी। लखनऊ में चेहल्लुम से पहले बुधवार को शहर मे देर रात तक मजलिसों का दौर चला। कर्बला अजमतुल दौला में आग का मातम भी हुआ।
लाइट ऐंड साउंड के जरिये दिखा अजादारी का दौर
इमाम हुसैन सभी के रोल मॉडल हैं। उन्होंने कुरबानी मुल्क या कौम को बचाने के लिए नहीं बल्कि मानवता को बचाने के लिए दी। उनका बलिदान सबसे बड़ा है। यह बात मौलाना कल्बे सादिक ने बुधवार को शोल्डर टु शोल्डर ग्रुप की ओर से सिब्तैनाबाद इमामबाड़े में आयोजित कार्यक्रम में कही। इस कार्यक्रम में लाइट ऐंड साउंड के माध्यम से अजादारी के दौर को दिखाया गया। इसमें अमजद खान ने कहा कि इमाम हुसैन ने सही और गलत का फर्क बताया। वह गलत के आगे झुके नहीं, तभी उनकी सोच आज भी जिंदा है।