नयी दिल्ली। समान नागरिक संहिता लागू करने के मुद्दे पर छिड़ी देशव्यापी बहस के बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने कहा है कि लोगों को धर्म के आधार पर पर्सनल लाॅ चुनने की अाजादी दी जानी चाहिए लेकिन एेसे लोगों को विधानसभा और लोकसभा चुनावों में मतदान का अधिकार छोड़ देना चाहिए। personal law
संघ विचारक एम जी वैद्य को विधि आयोग की ओर से एक प्रश्नावली प्राप्त हुई है जिसके जवाब में उन्होंने कहा कि जो लोग धर्म के आधार पर समान नागरिक संहिता का विरोध कर रहे हैं उन्हें ‘सीमित विकल्प’ दिया जाना चाहिए। उन्होंने हालांकि स्पष्ट किया है कि यह स्थाई विकल्प नहीं हो सकता । श्री वैद्य ने कहा कि जो लोग समान नागरिक संहिता का विरोध कर रहे हैं,उन्हें इसे नहीं मानने का विकल्प दिया जाना चाहिए लेकिन ऐसे मामलों में उन्हें विधानसभा और लोकसभा चुनावों में मतदान का अधिकार छोड़ना होंगा।
इसके लिए उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 44 का हवाला दिया जिसमें ‘संविधान के नीति निर्देशक सिद्धांतों’ का उल्लेख है। गौरतलब है कि ‘सीमित विकल्प’ का सुझाव संघ ने उस वक्त दिया है जब देश में तीन तलाक का मुद्दा पहले से ही गर्माया हुआ है।
कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद और वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि ‘तीन तलाक’ के मुद्दे पर केन्द्र के रुख को यूसीसी के साथ न तो जोड़ा जाना चाहिए और न ही इस पर कोई भ्रम होना चाहिए। विधि आयोग दोनों मुद्दों को अलग अलग तरीके से हल कर रहा है। संघ विचारक ने कहा,“ सरकार को विभिन्न जटिलताओं में उलझने की बजाए विवाह और तलाक के लिए समान कानून बनाने के लिए शीघ्र एक विधेयक लाना चाहिए।” उन्होंने कहा कि कानून ‘तीन तलाक’ की समस्या को समाप्त कर देगा और साथ ही तलाक चाहने वाली ईसाई महिलाओं के खिलाफ भेदभाव को भी दूर करेगा। personal law
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