नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (19 अप्रैल) को सीबीआई के स्पेशल जज बी.एच. लोया की मौत के मामले में अपना फैसला सुना दिया। कोर्ट ने इस मामले की स्वतंत्र जांच कराने की अपील को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा है, कि मामले का कोई आधार नहीं है, इसलिए इसमें जांच नहीं होगी।
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा समेत तीन जज की बेंच ने कहा, कि ‘चार जजों के बयान पर संदेह का कोई कारण नहीं है। उन पर संदेह करना संस्थान पर संदेह करने जैसा होगा। इस मामले के लिए न्यायपालिका को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है।’
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ताओं को फटकार लगाई और कहा, कि जिन वकीलों ने ये याचिका डाली है, उन्होंने इसके जरिए न्यायपालिका को बदनाम करने की कोशिश की है। ये अदालत की आपराधिक अवमानना करने जैसा है। शीर्ष कोर्ट ने कहा, कि ये याचिका राजनीतिक फायदे और न्यायपालिका की प्रक्रिया पर सवाल उठाने के लिए किया गया।’
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, कि अगर इस स्थिति को जारी रखा तो ये बहुत बड़ा खतरा होगा। जिस तरह से इस केस में याचिका डाली गई है ये सीधा न्यायपालिका पर हमला है। जो जज इस मामले की सुनवाई कर रहे थे, उनपर भी सीधा हमला किया गया।
इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एम. खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच कर रही थी। याचिका कांग्रेस नेता तहसीन पूनावाला, पत्रकार बीएस लोने, बॉम्बे लॉयर्स एसोसिएशन सहित कई अन्य पक्षकारों की ओर से दायर की गई थी।
जस्टिस लोया बहुचर्चित सोहराबुद्दीन शेख मामले की सुनवाई कर रहे थे। साल 2005 में सोहराबुद्दीन शेख और उसकी पत्नी कौसर को गुजरात पुलिस ने अगवा किया और हैदराबाद में हुई कथित मुठभेड़ में उन्हें मार दिया गया था। सोहराबुद्दीन मुठभेड़ के गवाह तुलसीराम की भी मौत हो गई थी। मामले से जुड़े ट्रायल को सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र में ट्रांसफर किया था। सुनवाई पहले जज उत्पत कर रहे थे, बाद में उनका तबादला हो गया था। इसके बाद जस्टिस लोया के पास इस मामले की सुनवाई आई थी। दिसंबर, 2014 में जस्टिस लोया की नागपुर में मौत हो गई थी जिसे संदिग्ध माना गया। जस्टिस लोया की मौत के बाद जिन जज ने इस मामले की सुनवाई की, उन्होंने अमित शाह को मामले में बरी कर दिया था।
हाल के दिनों में रही थी सुर्ख़ियों में
हाल ही में कुछ समय पहले एक मैग्जीन ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया था कि जस्टिस लोया की मौत साधारण नहीं थी बल्कि संदिग्ध थी। उसके बाद से ही यह मामला दोबारा चर्चा में आया और लगातार इस मुद्दे पर राजनीतिक बयानबाजी भी जारी रही। हालांकि, जज लोया के बेटे अनुज लोया ने कुछ दिन पहले ही प्रेस कांफ्रेंस कर इस मुद्दे को बड़ा करने पर नाराजगी जताई थी। अनुज ने कहा था कि उनके पिता की मौत प्राकृतिक थी, वह इस मसले को बढ़ना देने नहीं चाहते हैं।