मुंबई। बम्बई हाई कोर्ट ने बहुचर्चित आदर्श हाउसिंग घोटाला मामले में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण पर मुकदमे को लेकर महाराष्ट्र के राज्यपाल सी विद्यासागर राव के फैसले को गुरुवार को खारिज कर दिया।
न्यायमूर्ति आरवी मोरे की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने चव्हाण की याचिका पर सुनवाई के बाद राज्यपाल के उस फैसले को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने संबंधित मामले को लेकर केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को मुकदमा दायर करने की अनुमति दी थी।
आदर्श हाउसिंग सोसायटी घोटाला कांड में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक चव्हाण से जुड़ा घटनाक्रम कुछ इस प्रकार है…..
-नवंबर 2010 आदर्श घोटाला सामने आया। सीबीआई जांच शुरू।
-29 जनवरी, 2011 सीबीआई ने महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण सहित 14 लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 120 (बी) (आपराधिक षड्यंत्र) और भ्रष्टाचार निरोधी कानून के तहत मामला दर्ज किया।
-4 जुलाई, 2012 सीबीआई ने इस मामले में पहला आरोपपत्र सीबीआई की विशेष कोर्ट में दायर किया।
-दिसंबर 2013 महाराष्ट्र के राज्यपाल के. शंकरनारायणन ने अशोक चव्हाण के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति देने से इनकार किया।
आदर्श घोटाला मामला: पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण को मिली राहत
-जनवरी 2014 सत्र कोर्ट ने सीबीआई के अनुरोध पर बतौर आरोपी अशोक चव्हाण का नाम मुकदमे से हटाने से इनकार किया।
-मार्च 2015 बंबई उच्च न्यायालय ने मुकदमे से नाम हटाने का अनुरोध करने वाली अशोक चव्हाण की याचिका को खारिज किया।
-अक्टूबर 2015 सीबीआई ने चव्हाण के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए मंजूरी प्राप्त करने के वास्ते महाराष्ट्र के राज्यपाल सीएच विद्यासागर राव को और सबूत सौंपे।
-फरवरी 2016 राज्यपाल राव ने अशोक चव्हाण के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति सीबीआई को दी। राज्यपाल के आदेश के खिलाफ चव्हाण उच्च न्यायालय पहुंचे।