इमाम हुसैन का चेहल्लुम मंगलवार को पूरी अकीदत के साथ मनाया गया। इस मौके पर शिया समुदाय का अलम का जुलूस शहर के सभी इमामबाड़ों व इमामचौकों से होता हुआ देर शाम बजरिया रोड पहुंचा जिसमें बड़ी संख्यां में शामिल बच्चों, युवाओं व बुजुर्गो ने सीनाज़नी का इमाम व उनके साथियों की शहादत को याद किया गया। चेहल्लुम के मौके पर सुबह से ही मजलिस भी होती रही जो देर रात तक चलती रही।
मंगलवार को इमाम हुसैन चेहल्लुम के मौके पर शहर में शिया मसलक की मजलिसे सुबह से शुरू हो गई। जिसकी पहली मजलिस मोहल्ला मोहनपुरा में हाजी जरगाम अली के इमामबाड़े में हुई। इसके बाद दूसरी मजलिस इसी मोहल्ले में हाजी हाशिम हुसैन की बारगाहे बाबुल मुराद में हुई जिसे लखनऊ से आए मौलाना इमराम हुसैन ने खिताफ फरमाया। मजलिस में जिसमें मर्सियाखानी वरिष्ठ अधिवक्ता युसुफ इश्तियाक, हाजी जरग़ाम अली, हाजी निसार अली और अधिवक्ता हैदर अब्बास ने की ।
मौलाना इमरान ने मजलिस को खिताब फरमाते हुए बताया कि किसी तरह से करबला में इमाम की शहादत के बाद इमाम के बच्चों, बेटियों व बहनों पर जुल्म हुए। इमाम की शहादत के बाद उनका चेहल्लुम नहीं हुआ था जिस वजह से आए दुनियां के हर कोने में उनका चेहल्लुम पूरी अकीदत के साथ मनाया जा रहा है।
मजलिस के बाद अलम का कदीमी जुलूस उठा जो मोहल्ला बल्लभनगर, सूर्यनगर , तिलकनगर, कबीरनगर स्थित इमामबाड़ों व इमामचौकों से होता हुआ देर शाम बजरिया रोड पहुंचा जहां पर नौहाखानी और सीनाज़नी हुई जिसमें युवाओं व बच्चों ने जोरदार मातम कर इमाम व करबला के शहीदों को याद किया।
जुलूस के दौरान ही हाजी हैदर अली, हाजी अली ऱजा, नबाब हुसैन, मुन्नू भाई, कर्रार हुसैन के इमामबाड़ों में भी मजलिसें हुई। बजरिया रोड से अलम का जुलूस अंबेडकर चौराहा स्थित रजा हुसैन के इमामबाड़े में रात में पहुंचा जहां मजलिस हुई। अंत में जुलूस वापस बारगाहे बाबुल मुराद पर आया।
जिसकी अगुवाई वरिष्ठ अधिवक्ता युसुफ इश्तियाक, अधिवक्ता सरवर हुसैन, अधिवक्ता अली अख्तर आब्दी, हाजी हाशिम हुसैन, चुन्ना हुसैन, आशिक हुसैन, शमीम मिर्जा, लाल मियां, चांद मियां ने की जबकि मुख्य रूप से इशरत अली रिज़वी, शाहिद अली रिज़वी, अबूजर, असगर, अली, वेकार हैदर, शबाब हैदर, शाहिद आब्दी, मोहम्मद आब्दी, मासूम, नदीम, नबाव हुसैन, कर्रार हुसैन, इब्बन हुसैन, अरशद अली, मीसम सहित पांच सैकड़ा लोग मौजूद रहे।