नई दिल्ली। भारत दुनिया के सबसे बड़े हीरों में एक कोहिनूर हीरे को वापस लाने के लिए शीघ्र ही ब्रिटेन से संपर्क कर सकता है, जो फिलहाल टावर ऑफ लंदन में प्रदर्शित राजमुकुट में लगा है। सूत्रों ने बताया कि एक उच्च स्तरीय बैठक में इस आशय का फैसला किया गया। बैठक में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और संस्कृति मंत्री महेश शर्मा, कैबिनेट सचिव पी के सिन्हा एवं अन्य ने हिस्सा लिया। इस मुद्दे पर अगले महीने ब्रिटेन से संपर्क किया जा सकता है।
बैठक में ब्रिटेन के साथ एक संधि करने की संभावना पर भी चर्चा की गयी। इस संधि के दौरान ब्रिटेन को यह आश्वासन दिया जा सकता है कि भारत कोहिनूर को छोड़कर किसी अन्य प्राचीन कलाकृति पर दावा नहीं करेगा, जो उस देश के संग्रहालयों में हैं। यह बैठक 45 मिनट से अधिक देर तक चली, जो ब्रिटेन से 108 कैरेट के इस हीरे को वापस लाने के लिए कदम उठाने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आदेश पर बुलायी गयी थी।
सुप्रीम कोर्ट कोहिनूर को वापस लाने के मुद्दे से जुड़े मामले की सुनवाई कर रहा है। बैठक में शीर्ष अदालत के सामने अपनाए जाने वाले रूख पर भी चर्चा की गयी। अदालत ने सरकार से पूछा था कि क्या वह कोहिनूर पर दावा करने को इच्छुक है। वर्ष 2010 में तत्कालीन ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने भारत यात्रा के दौरान कथित रूप से कहा था कि यदि ब्रिटेन इस हीरे को लौटाने पर राजी हो गया तो अचानक ब्रिटिश संग्रहालय खाली मिले।
सरकार आगे इस पर विचार करेगी कि इस हीरे को कैसे लाया जाए। अप्रैल में सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि हीरा को ब्रिटिश न तो जबर्दस्ती ले गए और न ही उन्होंने उसे चुराया, बल्कि इसे पंजाब के शासकों द्वारा ईस्ट इंडिया कंपनी को उपहार के रूप में दिया गया। इस हीरे को लाने में कई कानूनी और तकनीकी अड़चनें हैं क्योंकि यह आजादी पूर्व काल का है और इस तरह यह पुरावशेष एवं कला संपदा अधिनियम, 1972 के दायरे में नहीं आता। हालांकि फटकार सुनने के बाद सरकार ने कहा था कि इस हीरे को वापस लाने की सभी कोशिश की जाएगी। इसकी कीमत 20 करोड डॉलर होने का अनुमान है। शर्मा ने संसद को बताया था कि विदेश मंत्रालय ब्रिटेन की सरकार के साथ इस मुद्दे का संतोषजनक हल पाने के तौर तरीकों पर गौर कर रहा है। वैसे यह हीरा ऐतिहासिक स्वामित्व विवाद का विषय है और भारत समेत कम से कम चार देशों ने इस पर दावा किया है।