लखनऊ। राजधानी में यह दूसरा वाकया है जब खास मकसद के लिए ग्रीन कॉरीडोर व्यवस्था लागू की गई। गुरुवार को किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी यानी केजीएमयू में ब्रेन डेड हुए एक शख्स के लीवर और किडनी से किसी की जिंदगी को रोशन करने के लिए सराहनीय प्रयास सार्थक हुआ। केजीएमयू के चिकित्सकों और राजधानी पुलिस की इस संयुक्त मुहिम रंग लाई।
गौरतलब है कि बीते दिनों ब्रेन डेड व्यक्ति की मौत के बाद उसका लीवर दिल्ली भेजा गया है, जबकि दोनों किडनी लखनऊ एसजीपीजीआई में सुरक्षित करवाई गई हैं। इस खास मकसद को अंजाम तक पहुंचाने के लिए ट्रैफिक पुलिस ने ग्रीन कॉरीडोर बनाया था। एक एंबुलेंस लीवर लेकर सुबह 11 बजे केजीएमयू से रवाना हुई और 23 मिनट में अमौसी एयरपोर्ट पहुंची। बताते चलें कि केजीएमयू से अमौसी एयरपोर्ट की दूरी 31.4 किमी है। ग्रीन कॉरीडोर बनाने के लिए केजीएमयू से हजरतगंज, राजभवन, अहिमामऊ और शहीदपथ होते हुए एयरपोर्ट ले जाने का रूट मैप तैयार किया गया था। कॉरीडोर को पुख्ता बनाने के लिए हर चेक प्वाइंट और चौराहों पर दो-दो पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई थी। साथ ही निगरानी और मौके पर जरूरी दिशानिर्देश देने के लिए सभी सीओ और एसपी स्तर के अधिकारी लगाए गए थे। एंबुलेंस के आगे एक इंटरसेप्टर लगाया गया था जो जो कि यातायात को अबाध बनाने के लिए लगातार चेतावनी देता रहा।
बताते चलें कि गोरखपुर जनपद निवासी सुंदर सिंह की बीते दिनों सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी। मृतक के परिजनों ने अंगदान की इच्छा व्यक्त की थी। इस नेक पहल को अमलीजामा पहनाने की औपचारिकता केजीएमयू की तरफ से डॉ. अभिजीत चंद्रा के नेतृत्व में पूरी की गई। लीवर निकालने के बाद उसे खास तकनीक से युक्त एक लाल रंग के बॉक्स में सुरक्षित किया गया था। लीवर को आॅर्गन प्रिजर्वेटिव सॉल्यूशन और बर्फ के मिश्रण में रखा गया। पूरी सुरक्षा व्यवस्था का नाजुक पक्ष यह है कि आॅर्गन डोनेट के बाद लीवर 6 घंटे और किडनी की 24 घंटे सुरक्षित रहता है।
जिंदगी की राह में क्यों खास है ग्रीन कॉरीडोर
मरीज का जीवन बचाने के लिए न केवल संस्थान बल्कि आम आदमी भी ग्रीन कॉरीडोर की मदद ले सकता है। बशर्ते दो घंटे पहले एसपी ट्रैफिक को सूचना देनी होगी, जिससे तैयारी की जा सके। ग्रीन कॉरीडोर मानव अंग को एक तय समय में एक स्थान से दूसरे स्थान तय पहुंचने के लक्ष्य को पूरा करने में मदद करता है। यह उस वक्त बनाया जाता है कि जब आपात स्थिति में किसी मरीज का इलाज चल रहा हो। वर्तमान में यह व्यवस्था बेंगलुरु, दिल्ली, कोच्ची, चेन्नई और मुंबई में उपलब्ध है। लखनऊ पुलिस ने किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज के आग्रह पर यह दूसरी बार ग्रीन कॉरीडोर बनाया। इसके तहत पुलिस उस पूरे मार्ग को खाली करवाती है, जहां से होकर एम्बुलेंस को गुजरना होता है। एम्बुलेंस की अगुवाई पुलिस वाहन करता है , ताकि गति अबाध रहे। इस पूरी कसरत को ग्रीन कॉरीडोर का नाम दिया गया है। अगर एयर एंबुलेंस के जरिए उस आर्गन को ले जाया जाता है तो एयरपोर्ट अथॉरिटी को भी मदद के लिए कहा जाता है।