हिज़्बुल्लाह के महासचिव सय्यद हसन नसरुल्लाह ने कहा है कि अमरीकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प कुछ हफ़्तों में अपनी “डील ऑफ़ द सेन्चरी” का आधिकारिक रूप से एलान करने वाले हैं।
सय्यद हसन नसरुल्लाह ने कहा कि इस समझौते में फ़िलिस्तीनियों की वतन वापसी का अधिकार पूरी तरह नज़रअंदाज़ किया गया है जबकि यह फ़िलिस्तीनी कॉज़ का बुनियादी हिस्सा है। इसी तरह हिज़्बुल्लाह के महासचिव ने यह भी कहा कि “डील ऑफ़ द सेन्चरी” के तहत भविष्य का फ़िलिस्तीनी स्टेट सिर्फ़ ग़ज़्ज़ा तक सीमित होकर रह जाएगा।
उन्होंने इस बात का उल्लेख करते हुए कि रियाज़ शासन यह दावा कर रहा है कि अतिग्रहित इलाक़े पर इस्राईल का हक़ है, कहा कि कुछ अरब राष्ट्र फ़िलिस्तीनी भूमि के इस्राईल द्वारा अतिग्रहण को वैध दर्शाने के लिए धर्म का सहारा ले रहे हैं।
हिज़्बुल्लाह के महासचिव ने बल देकर कहा, “फ़िलिस्तीनी कॉज़ क्षेत्रीय राष्ट्रों पर निर्भर है जो इसका कभी साथ नहीं छोड़ेंगे और फ़िलिस्तीनी प्रशासन को इस कथित “डील ऑफ़ द सेन्चरी” पर हर्गिज़ दस्तख़त नहीं करने चाहिए।”
इसके अलावा हसन नसरुल्लाह ने पश्चिम एशियाई क्षेत्र में प्रतिरोध आंदोलनों पर इस बात पर बल देते हुए कि वे अमरीका और इस्राईल के दबाव में न आएं, ज़ायोनी प्रधान मंत्री बिनयामिन नेतनयाहू और सऊदी युवराज मोहम्मद बिन सलमान को “डील ऑफ़ द सेन्चरी” का आधार बताया।
सय्यद हसन नसरुल्लाह ने इस बात पर बल देते हुए कि अमरीकी कभी भी अपने वादे पर अमल नहीं करते और किसी भी तरह के समझौते में उन पर भरोसा नहीं किया जा सकता, इस संबंध में वॉशिंग्टन के 2015 में ईरान के साथ हुए परमाणु समझौते से बाहर निकलने के क़दम को सुबूत के तौर पर पेश किया।
उन्होंने कहा, “अमरीका ने तेहरान के साथ हुए परमाणु समझौते से निकलते वक़्त अपने घटकों के हितों का तनिक भी ख़्याल नहीं रखा। इसलिए फ़िलिस्तीनियों के साथ जिस शांति वार्ता में अमरीका शामिल होगा, उसका कोई नतीजा नहीं निकलेगा।”
सय्यद हसन नसरुल्लाह ने बताया कि किस तरह हिज़्बुल्लाह ने इस्राईल की वॉर मशीन की हवा निकाल दी और इस्राईली सेना के अजेय रहने के मिथक और उसके मनोबल के टुकड़े टुकड़े कर दिए।
अंत में उन्होंने उम्मीद जतायी कि लेबनान में जल्द से जल्द नई सरकार के गठन की दिशा में क़दम उठेंगे।