नई दिल्ली : विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर ने गुरुवार (9 फरवरी) को कहा कि भारत कट्टरपंथ का मुकाबला करने के लिए ‘तत्काल कदम’ उठा रहा है और वास्तविकता एवं इस्लाम के संदेश को विकृत करने वाले इस मुद्दे पर जल्द ही एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन बुलाया जाएगा। Akbar
आतंक रोधी बल एनएसजी द्वारा यहां आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में अपना मुख्य भाषण देते हुए विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर ने कहा कि भारत इस बात को लेकर आश्चर्यचकित है कि क्यों संयुक्त राष्ट्र और इसके सदस्य देशों ने कुछ सीमित नीतिगत कारणों से आतंकवाद की परिभाषा तय नहीं की है।
उन्होंने यह भी कहा कि कुरआन भी फसादियों को खत्म कर डालने की इजाजत देता है जिससे बाकी लोगों को सुरक्षित रखा जा सके।
अकबर ने कहा कि यहां तक कि पवित्र कुरान में यह लिखा हुआ है कि एक फसादी का खात्मा समूचे समुदाय को बचाने के समान है। और यह बहुत सच है। मेरा मतलब है कि यह उक्ति हमारे देश के लिए बिल्कुल उपयुक्त है।
उन्होंने कहा कि जब हम आतंकवाद का सफाया करते हैं तब हम मानवाधिकारों का संरक्षण करते हैं।
यह एक चर्चा है जो लगातार चल रही है कि जो लोग आतंकवाद का खात्मा करना चाहते हैं, किसी न किसी तरह मानवाधिकारों का उल्लंघन कर रहे हैं, जब आतंकवाद मानव अधिकारों के लिए सबसे बड़ा खतरा है, तो क्या कोई ऐसा है जो समझदार हो और इसे चुनौती दे सके? क्या कोई ऐसा है, जो समझदार है और इस बारे में तर्क कर सके।
उन्होंने भारत और तकरीबन दर्जन भर देशों के आतंकवाद रोधी शीर्ष अधिकारियों को संबोधित करते हुए यह कहा। उन्होंने कहा कि जब देश में यह नहीं दिख रहा कि काफी सारे भारतीय मुसलमान कट्टरपंथ की ओर बढ़ रहे हैं, सरकार ने आतंकवाद एवं कट्टरपंथ के प्रसार का मुकाबला करने के लिए फौरी कदम उठाने की जरूरत को पहचाना।
अकबर ने कहा, ‘‘हम कट्टरपंथ पर चर्चा में, इसे चुनौती देने के तरीके ढूंढने में अग्रणी रहे हैं क्योंकि इसे न सिर्फ आपकी सुरक्षा एजेंसियों के स्तर पर निपटना होगा, बल्कि विचारों के स्तर पर भी मुकाबला करना होगा।